अवांछनीय कॉल्स पर और सख्ती के लिए ट्राई ने मांगे सुझाव
अवांछनीय कॉल्स के विरुद्ध मौजूदा प्रावधान ग्राहक को पूर्ण समाधान नहीं देते। क्योंकि इनका दायरा व्यापक होने के साथ-साथ सीमित भी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अवांछनीय व्यापारिक कॉल्स पर अंकुश के प्रयासों के बावजूद टेलीकॉम उपभोक्ताओं को ऐसी काल्स से पूरी तरह निजात नहीं मिल सकी है। लिहाजा और कड़े कदम उठाने के लिए ट्राई ने लोगों से सुझाव मांगे हैं।
अवांछनीय व्यापारिक कॉल्स पर अंकुश लगाने के प्रावधान सबसे पहले 2010 में लागू किए गए थे। इनमें समय-समय पर संशोधन होता रहा। इससे कुछ फर्क तो पड़ा परंतु अवांछनीय व्यापारिक कॉल्स बंद नहीं हुई हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने इनके नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। अब वे कंप्यूटर जनित ऑटो डायलर्स, रोबो-कॉल्स तथा साइलेंट कॉल्स का सहारा लेने लगे हैं, वॉइस कॉल्स से भी ज्यादा परेशान करती हैं।
अवांछनीय कॉल्स के विरुद्ध मौजूदा प्रावधान ग्राहक को पूर्ण समाधान नहीं देते। क्योंकि इनका दायरा व्यापक होने के साथ-साथ सीमित भी है। शिकायत दर्ज कराने पर कुछ तरह की कॉल्स तो बंद हो जाती हैं। परंतु कुछ अन्य प्रकार की कॉल्स आती रहती हैं। इसके अलावा वरीयताएं दर्ज कराने में सात दिन का और कार्रवाई होने में इससे भी लंबा वक्त लग जाता है। कॉल्स के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों की ओर से लाखों अवांछनीय एसएमएस भी ग्राहकों को भेजे जाते हैं। कंपनियां किसी भी तरीके से ग्राहक की सहमति लेकर असीमित एसएमएस भेजने लगती हैं। यह सहमति कब और कैसे ली गई, इसका कंपनियों के पास कोई उचित रिकार्ड नहीं होता। देश में कितनी पंजीकृत टेलीमार्केटिंग कंपनियां और कंटेंट प्रोवाइडर हैं और उनके लिए कौन सी कंपनियां कॉल्स और एसएमएस भेजने का काम करती हैं, इसका भी पता नहीं है।
ऐसे में ट्राई मौजूदा प्रिफरेंस रजिस्ट्रेशन सिस्टम में सुधार करना चाहता है। ताकि ग्राहकों को कॉल्स पर रोक के ज्यादा विकल्प हासिल हो सकें। इसी के साथ कंटेट प्रोवाइडर, एग्रीगेटर और इंटरमीडियरी कंपनियों का रिकार्ड बनाने के साथ-साथ काल्स को रिकार्ड करने की प्रणाली भी विकसित की जाएगी। ताकि दोषी कंपनियों को खोज कर उन पर सबूतों के साथ कार्रवाई की जा सके।
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