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जीएसटी पोर्टल की खामियों से परेशान हुए व्यापारी, इस्तेमाल करने में हो रही दिक्कतें

जीएसटी पोर्टल पर इस्तेमाल की गई शब्दावली व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 24 Oct 2017 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 24 Oct 2017 12:12 PM (IST)
जीएसटी पोर्टल की खामियों से परेशान हुए व्यापारी, इस्तेमाल करने में हो रही दिक्कतें
जीएसटी पोर्टल की खामियों से परेशान हुए व्यापारी, इस्तेमाल करने में हो रही दिक्कतें

नई दिल्ली (जेएनएन)। टीबीयू, ईवीसी, डीएससी..। ये शब्द पढ़कर चौंकिए नहीं। यह तो बानगी भर है। दूरदराज के छोटे कस्बों में जब व्यापारी जीएसटी रिटर्न भरने बैठते हैं तो इसके पोर्टल पर उन्हें ऐसी ही अंग्रेजी शब्दावली से दो-चार होना पड़ता है। ये शब्द अक्सर उनकी समझ से परे होते हैं। व्यापारियों की मुश्किलें सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं। अगर किसी व्यवसायी से रिटर्न भरने में भूल हो जाती है, तो इसे सुधारने का विकल्प भी उनके पास नहीं है। इस तरह की तमाम दिक्कतों और जीएसटी पोर्टल की जटिलताओं ने व्यापारियों की नाक में दम कर रखा है।

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वैसे तो वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ के नाम से जाना जा रहा था, लेकिन इसे लागू करने के लिए जो पोर्टल बना है, वह व्यापारियों के जी का जंजाल साबित हो रहा है। इस पोर्टल पर न तो समय पर सूचनाएं अपडेट की जा रही हैं और न ही इस पर वे फॉर्म उपलब्ध हैं जिनके जरिये व्यापारी अपने रिटर्न में भूल को सुधार सकें। अगर किसी कारोबारी से मासिक खरीद-बिक्री का ब्योरा देने वाले फॉर्म ‘जीएसटीआर-3बी’ अथवा मासिक रिटर्न फाइल करने के जीएसटीआर-1 में कोई भूल हो गई है तो वह इसमें सुधार नहीं कर सकता है। हालांकि व्यापारियों ने अभी केवल जुलाई के लिए ही जीएसटीआर-1 भरा है।

उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष गोपाल जीवराजका का कहना है कि रिटर्न में गलती सुधारने का विकल्प नहीं होने से व्यापारियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को कम से कम अगले साल मार्च तक जीएसटीआर-3बी, जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-2 में रिवीजन व सुधार की अनुमति देनी चाहिए। इसके बाद सरकार इसकी समीक्षा कर सकती है। कुछ छोटे उद्यमियों और व्यापारियों का तो यहां तक कहना है कि सुधार का विकल्प नहीं होने से उनकी लागत भी बढ़ गई है। उन्हें अब इस काम के लिए ज्यादा कुशल कर्मचारी रखने पड़ रहे हैं।

उद्यमियों और कारोबारियों की एक शिकायत सरकार के जीएसटीएन पोर्टल पर सूचनाओं की जानकारी के अभाव को लेकर भी है। उनका कहना है कि यह पोर्टल लगातार अपडेट नहीं हो रहा है। कुछ ने तो यहां तक कहा कि इस पर उपलब्ध जीएसटी नियम और अधिसूचनाएं भी पुराने हैं। उनमें नवीनतम बदलावों को शामिल नहीं किया गया है।

कानपुर स्थित कालिन इंजीनियरिंग वर्क्सं के एमडी महेंद्र नारायण अवस्थी का कहना है कि जीएसटी पोर्टल कारोबारी फ्रेंडली नहीं है। यह पोर्टल समय पर अपडेट नहीं होता। पोर्टल पर यह तक उल्लेख नहीं है कि सितंबर और अक्टूबर माह के लिए जीएसटी का प्राथमिक रिटर्न यानी ‘जीएसटीआर-3बी’ जमा करने की अंतिम तिथि क्या है। पोर्टल अब भी जुलाई और अगस्त के लिए अंतिम तारीख दिखा रहा है।

इसके अलावा पोर्टल पर इस्तेमाल की गई शब्दावली व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। अवस्थी बताते हैं कि पोर्टल की शब्दावली आसानी से समझ नहीं आ सकती। मसलन, अगस्त महीने के लिए जीएसटीआर-1 कब दाखिल होगा इस संबंध में पोर्टल पर अंग्रेजी के तीन अक्षर लिखे हैं-टीबीयू। इसी तरह रिटर्न दाखिल करने से पहले दो विकल्प आते हैं- डीएससी या ईवीसी के साथ सबमिट करें। देश के दूरदराज के इलाकों में टीबीयू, डीएससी और ईवीसी जैसी शब्दावली को एक सामान्य व्यापारी कैसे समझोगा? इसके अतिरिक्त पोर्टल का क्षेत्रीय भाषाओं में नहीं होना भी दूरदराज के छोटे कारोबारियों और उद्यमियों के लिए उलझन पैदा कर रहा है।

जीएसटी पोर्टल को जानी-मानी आइटी कंपनी इन्फोसिस ने तैयार किया है। ऐसे में उम्मीद थी कि यह पोर्टल कुशलतापूर्वक काम करेगा, लेकिन जिस तरह कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करने में दिक्कतें आ रही हैं, उससे इसका प्रबंधन करने वाली कंपनी जीएसटीएन पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार की दलील है कि जीएसटीआर-1 में हुई गलती का सुधार अगले महीने के रिटर्न में किया जा सकता है। जबकि जीएसटीआर-3बी में भूल का सुधार उस महीने के जीएसटीआर-1 में किया जा सकता है। वैसे, जीएसटीएन की ओर से जो दलील दी जा रही है, वह व्यवहार में अब तक संभव नहीं हुआ है। इसकी वजह यह है कि अभी तक सिर्फ जुलाई का जीएसटीआर-1 ही दाखिल हुआ है। अगस्त और सितंबर का जीएसटीआर-1 कब जमा होगा, इसका अभी कुछ अता-पता नहीं है। ऐसे में अगर किसी व्यापारी से अगस्त अथवा सितंबर के जीएसटीआर-3बी में गलती हुई है तो उसे सुधारने के लिए उसे कई महीने का इंतजार करना पड़ेगा।

पोर्टल में तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता में एक मंत्रिसमूह गठित किया है। मंत्रिसमूह ने 30 अक्टूबर तक इन कमियों को दूर होने की उम्मीद जताई है, लेकिन अभी तक इसमें सुधार के कोई संकेत नहीं मिले हैं। इस बीच सितंबर माह के लिए मात्र आधे ही व्यवसायियों ने जीएसटी का रिटर्न दाखिल किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि जीएसटी का अनुपालन कठिन होने के चलते व्यवसायी रिटर्न दाखिल में असहाय महसूस कर रहे हैं।


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