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रद हो सकता है अगस्ता में फंसी कंपनी से टॉरपीडो सौदा

अगस्‍ता स्‍कैम में फंसी इटली की कंपनी फिनमैकेनिका की अपने सहयोगी कंपनी टॉरपीडो के साथ डील खत्‍म हो सकती है।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 25 May 2016 09:06 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2016 09:07 AM (IST)
रद हो सकता है अगस्ता में फंसी कंपनी से टॉरपीडो सौदा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हेलीकॉप्टर घोटाले में फंसी इटली की कंपनी फिनमैकेनिका की सहयोगी कंपनी से स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के लिए टॉरपीडो खरीदने संबंधी सौदे को सरकार रद कर सकती है। रक्षा मंत्रालय स्कॉर्पियन पनडुब्बियों पर लगाए जाने वाले टॉरपीडो के लिए फिनमैकेनिका के ब्लैक शार्क टॉरपीडो का विकल्प तलाश रहा है।

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रक्षा सूत्रों का कहना है कि फ्रांस निर्मित स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के लिए 1200 करोड़ रुपये में 98 ब्लैक शार्क टॉरपीडो खरीदने संबंधी प्रस्ताव को रद कर दिया गया है। इसके विकल्प पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जर्मनी की कंपनी एटलस इलेक्ट्रॉनिक का सी हॉक टॉरपीडो इसकी जगह ले सकता है।

टॉरपीडो के लिए सबसे नीची बोली फिनमैकेनिका की सहयोगी कंपनी वाइटहैड एलेनिया सिस्टेमी सबएक्वे ने लगाई थी। इसलिए उसे टॉरपीडो की आपूर्ति का ठेका मिला था। हालांकि वीवीआइपी हेलीकॉप्टर की खरीद में घोटाले के चलते टॉरपीडो खरीद का प्रस्ताव अधर में लटका हुआ है। मझगांव डाकयार्ड में बन रही पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी इस साल सितंबर तक नेवी को मिलने की संभावना है।

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बताया जाता है कि नेवी परिचालन आवश्यकता का हवाला देते हुए इसकी वकालत कर रही है जबकि रक्षा मंत्री मनोहर परिक्कर ने इसका विकल्प तलाशने का फैसला किया है। जर्मन कंपनी एटलस इलेक्ट्रॉनिक इस बोली में दूसरे स्थान पर आई थी। बताया जाता है कि एमडीएल के सहयोग से मुंबई में पनडुब्बी बना रही फ्रांसीसी कंपनी और जर्मन कंपनी के बीच कुछ मतभेद थे इसलिए एटलस इलेक्ट्रॉनिक इस बोली में पिछड़ गई। सूत्रों ने कहा कि अब दोनों कंपनियों के बीच मतभेद सुलझ गए हैं, इसलिए सरकार तो सीधे जर्मन कंपनी से यह खरीद सकती है या फिर नए सिरे से बोली आयोजित कर सकती है। ऐसे में अगर यह मुद्दा जल्द हल नहीं हुआ तो नेवी को स्कॉर्पियन पनडुब्बी को उसके प्रमुख एंटी शिप अटैक सिस्टम के बगैर ही अपने बेड़े में शामिल करना पड़ेगा।

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सूत्रों ने कहा कि स्कॉर्पियन पनडुब्बियों को पहले ही ब्लैक शार्क टारपीडो के हिसाब से डिजायन कर दिया गया है। ऐसे में किसी अन्य तरह के टॉरपीडो को उस पर तैनात करने में न सिर्फ अधिक वक्त लगेगा बल्कि पैसा भी अधिक खर्च होगा। छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियां 25000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना के तहत मझगांव में बनाई जा रही हैं। इसके लिए फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस अपनी प्रौद्योगिकी मुहैया करा रही है।


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