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शीर्ष आइपीएस अधिकारियों ने उठाया कम वेतन का मुद्दा

एक अनूठे घटनाक्रम के तहत देश के कुछ वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों ने वेतन विसंगति का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया है। सीमा सुरक्षा बल, खुफिया ब्यूरो व जांच एजेंसी के इन अधिकारियों का तर्क है कि उनका वर्तमान वेतन उनकी प्रतिष्ठा व जिम्मेदारी के लिहाज से कमतर

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 05:42 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 08:04 PM (IST)
शीर्ष आइपीएस अधिकारियों ने उठाया कम वेतन का मुद्दा

नई दिल्ली। एक अनूठे घटनाक्रम के तहत देश के कुछ वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों ने वेतन विसंगति का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया है। सीमा सुरक्षा बल, खुफिया ब्यूरो व जांच एजेंसी के इन अधिकारियों का तर्क है कि उनका वर्तमान वेतन उनकी प्रतिष्ठा व जिम्मेदारी के लिहाज से कमतर है। इन अफसरों ने गृह मंत्रालय से इसमें बढ़ोतरी की मांग की है। मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि इनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है।

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इन अधिकारियों का तर्क है कि अ‌र्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों व भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठतम अधिकारियों को भी 75,500 से 80,000 रुपये का वेतनमान दिया जा रहा है। 80,000 रुपये अधिकतम वेतन के साथ यह देश का दूसरा शीर्ष वेतनमान है।

जानकारी के अनुसार, कुछ अधिकारियों ने जहां लिखित में अपना आवेदन दिया, वहीं कुछ अन्य ने मौखिक रूप से अपनी बात रखी। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि यह एक अनोखी घटना है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।

इन अधिकारियों ने उठाया मुद्दा

सरकार के सामने यह मुद्दा उठाने वाले अधिकारियों में सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख डीके पाठक, सशस्त्र सीमा बल के मुखिया बीडी शर्मा, एनआइए के महानिदेशक शरद कुमार, इंटेलीजेंस ब्यूरो के दो विशेष निदेशक राजीव जैन व सुरेंद्र सिंह और राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के महानिदेशक आरआर वर्मा शामिल हैं। 1978 बैच के बिहार कैडर के अधिकारी आरआर वर्मा इनमें सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं।

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