राजीव के हत्यारों की रिहाई को फिर कोर्ट में तमिलनाडु
पुनर्विचार याचिका में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि सीपीसी के मुताबिक दोषियों की माफी या सजा में बदलाव के मामले में केंद्र सरकार को राज्यों के ऊपर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।
नई दिल्ली, प्रेट्र। तमिलनाडु सरकार हर हाल में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने की कोशिश में है। इस दिशा में राज्य सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राज्य सरकार ने उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई के लिए केंद्र सरकार की अनुमति को आवश्यक बताया था।
पुनर्विचार याचिका में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि सीपीसी के मुताबिक दोषियों की माफी या सजा में बदलाव के मामले में केंद्र सरकार को राज्यों के ऊपर प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट की पीठ की ओर से इस संबंध में केंद्र को विशेष दर्जा देना त्रुटिपूर्ण है। राज्य सरकार ने कहा, 'सजा माफी के मामले में राज्य सरकार ही फैसले के परिणाम का आकलन कर सकती है।
राज्य सरकार को परिस्थितियों और तथ्यों की जानकारी होती है।' अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि दोषियों की ओर से याचिका के बिना राज्य सरकार स्वत: संज्ञान लेकर सजा माफ नहीं कर सकती। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी, 2014 को राज्य सरकार के उस फैसले को रोक दिया था, जिसमें दोषियों मुरुगन, संथन और अरिवु को रिहा करने की बात कही गई थी।
बाद में अदालत ने नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई का फैसला भी रोक दिया था। कोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के फैसले में प्रक्रियागत खामियां थीं। दूसरी ओर, इस मामले में केंद्र सरकार हत्यारों को किसी भी तरह की रियायत देने से मना कर चुकी है।
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