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मनोकामना पूरी करने के लिए भरते हुक्का

आस्था और आशीर्वाद के रंग निराले हैं। श्रीधाम में एक ठाकुर जी ऐसे भी हैं, जिनके लिए हुक्का भरना पड़ता है। माना जाता है कि इससे मनोकामना पूरी हो जाती है। बड़े-बड़े दिग्गज यहां मंदिर में हुक्का भरते हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1

By Edited By: Published: Mon, 15 Sep 2014 02:00 PM (IST)Updated: Mon, 15 Sep 2014 02:01 PM (IST)
मनोकामना पूरी करने के लिए भरते हुक्का

वृंदावन (शरद अवस्थी)। आस्था और आशीर्वाद के रंग निराले हैं। श्रीधाम में एक ठाकुर जी ऐसे भी हैं, जिनके लिए हुक्का भरना पड़ता है। माना जाता है कि इससे मनोकामना पूरी हो जाती है। बड़े-बड़े दिग्गज यहां मंदिर में हुक्का भरते हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में और स्व. नरसिम्हा राव 1985 में बतौर विदेश मंत्री यहां आए थे और जमाई ठाकुर का हुक्का भर चुके हैं।

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वृंदावन के तराश मंदिर क्षेत्र में डेढ़ सौ साल पुराने जमाई ठाकुर मंदिर में जमाई राजा ठाकुर श्री राधा के साथ विराजे हैं। मंदिर 32 एकड़ भूमि में बना है। पौराणिक मंदिर के बारे में बताया गया कि 1875 में वनमाली रायबहादुर ने मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर क्यों बनवाया इसकी भी अलग कहानी है। वनमाली रायबहादुर मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने वैष्णव मार्ग से दूर रहकर श्री राधाकृष्ण को नहीं माना। एक दिन वह अपनी जिज्ञासा लेकर राजऋषि एवं भविष्यवक्ता जगत बंधु सुन्दर के पास गए। उन्होंने अपना संशय उनके सामने रखा तो जगतबंधु ने उनके सिर पर वरदहस्त रख दिया। तब राय बहादुर को लगा कि वह भगवान के श्रीधाम में हैं, जहां श्रीकृष्ण भगवान राधा जी के साथ विराजमान हो हुक्का पी रहे हैं।

मंदिर के सेवायत और भक्त उदयन शर्मा ने बताया कि इसके बाद वनमाली राय बहादुर की भगवान के प्रति ऐसी अलख जगी कि वह दिन-रात उन्हीं में खोये रहते। एक दिन तराश मंदिर क्षेत्र में बने अपने घर गए और अपने गाल पर लगी चोट को दिखाते हुए कहा कि उन्हें कान्हा ने मारा है। सब लोग हैरत में पड़ गए। बाद में पुजारी को सपना आया कि बात सच है, वह तो कान्हा के साथ खेल रहे थे तभी उन्हें चोट लग गई। सांसारिक झंझटों से अगल रहने वाले वनमाली राय बहादुर की दशा देख लोगों ने विवाह कराने को लड़की देखी और शादी की तैयारी हुई। कन्या ने कहा कि पहले वह ठाकुर जी के साथ शादी करेगी। इसके बाद राय बहादुर के साथ। बरात आ चुकी थी, सो पहले श्रीकृष्ण के साथ कन्या का विवाह किया गया। इसके बाद उसने ठाकुर जी के सामने ढोक लगाई। काफी देर होने पर महिलाओं ने कन्या को उठाया तो उसकी मृत्यु हो चुकी थी। तराश मंदिर में वनमाली राय बहादुर ने इसके बाद जमाई ठाकुर का मंदिर बनवाया। इसमें ठाकुर जी को बाकायदा हुक्का पिलाया जाता है। यह मंदिर पुराने श्री कृष्ण-राधा मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर बना है। इसमें राधाजी के विग्रह का स्वरूप ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार शादी करने वाली कन्या का था। जमाई ठाकुर मंदिर बनने के बाद तराश मंदिर में वनमाली राय बहादुर 16 वर्षो तक मंदिर के समीप एक बंद कमरे में रहे।

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