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...तो क्या जनमत संग्रह के बाद भी यूरोपीय संघ से अलग नहीं होगा ब्रिटेन?

ब्रिटेन में ईयू को छोड़ने पर हुए जनमत संग्रह के बाद कुछ ऐसी अड़चनें हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि ईयू छोड़ने के बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है।

By kishor joshiEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 11:06 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 01:04 PM (IST)
...तो क्या जनमत संग्रह के बाद भी यूरोपीय संघ से अलग नहीं होगा ब्रिटेन?

लंदन (रॉयटर्स)। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से हटने के लिए हुए ऐतिहासिक जनमतसंग्रह के बाद अभी भी यह सवाल बना हुआ है कि EU को छोड़ना चाहिए कि नहीं? इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि ब्रेक्जिट जल्दी हो पायगा। शायद यह कभी हो ही नहीं।

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प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा कि वह ईयू से अलग होने के बारे में तब तक कोई आधिकारिक कदम नहीं उठा सकते जब तक उनके उत्तराधिकारी के बारे में कोई फैसला ना हो जाए। जनमत संग्रह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, कुछ नेताओं ने सुझाव दिया है कि ब्रेक्जिट से पहले संसद में वोटिंग हो। एक दूसरे जनमत संग्रह के तहत ब्रिटिश सरकार की वेबसाइट पर एक याचिका में सिर्फ दो दिनों में 30 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।

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यूरोपीय नेताओं पर यूरोपीय समुदाय द्वारा अलग-अलग तरह से दवाब बनाया जा रहा है। यूरोपीय यूनियन से अलग होने को लेकर नेता दो भागों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं। पेरिस चाहता है कि ब्रिटने जल्द ही ईयू से अलग हो जबकि जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने धैर्य रखने का आग्रह कर रही हैं। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर ने कहा है कि वह तुरंत कार्रवाई शुरू करना चाहते हैं। रविवार को, स्कॉटलैंड के नेता ने कहा कि ब्रेक्जिट के मुद्दे पर स्कॉटलैंड पूरी तरह वीटो कर सकता है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, हस्तांतरण के नियमों के तहत यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स की संसदों की सहमति के लिए आवश्यक है।

अधिकतर ब्रिटिश राजनेता यह मानते हैं है कि इस तरह के निर्णय (52 फीसद ईयू छोड़ने के पक्ष में 48 ईयू के साथ रहने के पक्ष में) का मतलब है कि तलाक जरूर होना चाहिए। अगर इसके वाबजूद भी यह नहीं होता है तो इस लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा होगा। कैमरून ने अपने विदाई भाषण में कहा था कि ब्रिटिश लोगों की भावना का सम्मान करना चाहिए।

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लिसबन समझौते का आर्टिकल 50?

भले ही ब्रिटने ने यूरोपीय यूनियन से अलग होने का फैसला ग्रेट ब्रिटेन ने कर लिया हो, लेकिन यह इतना आसान हीं है। आर्टिकल 50 के तहत सदस्य देश को अलग होने का प्रस्ताव ईयू संसद में रखना होगा। उसे सदस्य देशों का बहुमत हासिल करना होगा। लिसबन समझौते के आर्टिकल 50 के अनुसार, जनमत संग्रह के बाद अलग होने के लिए दो साल का समय होता है।


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