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डाक्टर बनने के लिए एट्रेंस ही नहीं 'एग्जिट एग्जाम' भी देना होगा

बिना 'एग्जिट एग्जाम' अब डाक्टर नहीं बन पाएंगे। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को केंद्र सरकार 'एग्जिट एग्जाम' की व्यवस्था करने की तैयारी कर रही है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 12:11 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 03:51 AM (IST)
डाक्टर बनने के लिए एट्रेंस ही नहीं 'एग्जिट एग्जाम' भी देना होगा

नई दिल्ली[हरिकिशन शर्मा]। डाक्टर बनने के लिए अब न सिर्फ प्रवेश परीक्षा देनी होगी बल्कि एक 'एग्जिट एग्जाम' भी देना होगा। मेडिकल की डिग्री लेने के बाद छात्रों को यह परीक्षा देनी होगी और इसे पास करने के बाद ही वे डाक्टर बन सकेंगे। मेडिकल के जो छात्र इस परीक्षा में पास नहीं होंगे वे डाक्टर नहीं बन पाएंगे।

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सूत्रों के मुताबिक सरकार मेडिकल की पढ़ाई की मौजूदा व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने की रणनीति के तहत यह नई व्यवस्था अपनाने पर विचार कर रही है। मेडिकल की पढ़ाई के संबंध में नियामक तंत्र सुझाने के लिए सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या की अध्यक्षता में जिस समिति का गठन किया है, वह 'एग्जिट एग्जाम' अनिवार्य बनाने की सिफारिश कर सकती है। फिलहाल रूस सहित कुछ देशों से मेडिकल की डिग्री लेकर आने वाले छात्रों को भारत में डाक्टर बनने के लिए कुछ इसी तरह की परीक्षा देनी पड़ती है।

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सूत्रों ने कहा कि देश में मेडिकल की पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर रखने के इरादे से समिति 'एग्जिट एग्जाम' कराने की सिफारिश कर सकती है। समिति ने अपनी रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। इस बीच माना जा रहा है कि इस हफ्ते पानागढि़या मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रस्तावित तंत्र के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दे सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि समिति भारत में मेडिकल की पढ़ाई के नियमन के संबंध में आमूलचूल परिवर्तन करने की सिफारिश करने जा रही है। समिति मौजूदा मेडिकल काउंसिल को खत्म कर उसकी जगह एक राष्ट्रीय मेडिकल आयोग का गठन करने की सिफारिश कर रही है।

उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने 24 जून को सबसे पहले यह खबर दी थी कि सरकार मेडिकल काउंसिल को खत्म कर मेडिकल की शिक्षा के लिए एक आयोग बनाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि मेडिकल की पढ़ाई में व्याप्त भ्रष्टाचार और इंस्पेक्टर राज को खत्म करने के इरादे से यह बदलाव करना जरूरी है। इसलिए पानागढि़या समिति एमसीआइ की जगह राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बनाने की सिफारिश कर रही है।

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सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित मेडिकल आयोग के अलावा एक मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल भी होगी जिसमें केंद्र के साथ-साथ राज्यों के प्रतिनिधि भी होंगे। इसके अलावा मेडिकल आयोग में चार बोर्ड हांेगे जो स्वायत्त होंगे। इसमंे से एक बोर्ड मेडिकल की अंडरग्रेजुएट की पढ़ाई, दूसरा पोस्ट गे्रजुएट, तीसरा एक्रीडिएशन और चौथा बोर्ड प्रैक्टिस के नियमन का काम देखेगा।

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित मेडिकल आयोग में 19 से 20 सदस्य होंगे। इन सदस्यों की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर होगी ताकि इसमें पेशेवर आ सकें। सूत्रों ने कहा कि मौजूदा मेडिकल काउंसिल के पदाधिकारियों की नियुक्ति चुनाव के जरिए होती है जिसके चलते अच्छे पेशेवर इसमें नहीं आ पाते। इस आयोग में डाक्टरों के अलावा, अर्थशास्त्र और कानून जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी होंगे। समिति मेडिकल काउंसिल के अलावा होम्योपैथी और आयुर्वेद की पढ़ाई के संबंध में भी नई व्यवस्था का सुझाव देगी।

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