तमिलनाडु मॉडल पर होगी दिल्ली की स्कूली शिक्षा!
आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी में जुटी है। सरकार शिक्षा अधिनियम- 1973 में संशोधन कर शिक्षा की गुणवत्ता में आ रहे अवरोधकों को दूर करेगी। संशोधन के लिए इस अधिनियम को गत बजट पत्र में लाया जाना था। मगर कुछ मामलों
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी में जुटी है। सरकार शिक्षा अधिनियम- 1973 में संशोधन कर शिक्षा की गुणवत्ता में आ रहे अवरोधकों को दूर करेगी। संशोधन के लिए इस अधिनियम को गत बजट पत्र में लाया जाना था, मगर कुछ मामलों में आम राय नहीं बन पाने के कारण अंतिम समय पर इसे रोक लिया गया था।
अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख विशेषज्ञों से राय लेकर बिल में कुछ नए तथ्य जोड़े जा रहे हैं। इसमें प्रमुख मुद्दा पब्लिक स्कूलों पर नकेल कसना है।
दिल्ली में पब्लिक स्कूलों पर नकेल कसने के लिए और अधिक प्रभावी नियम बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इस मामले में आप सरकार राजस्थान व तमिलनाडु मॉडल का भी अध्ययन कर रही है। विशेषज्ञों का जोर तमिलनाडु मॉडल पर है, हालांकि इसमें अड़चन बगैर सरकारी सहायता से मिली जमीन पर चल रहे स्कूलों के नियमन पर है।
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जब सरकार इन स्कूलों को कुछ दे नहीं रही है तो इन पर सीधे तौर पर अंकुश किस तरह लगाएगी, इसलिए इस मॉडल को लागू करने के लिए कुछ संशोधन किया जाए, इसलिए सरकार डीईआरसी (दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग) की तरह निजी स्कूलों के नियमन के लिए एक नियामक आयोग का गठन करे, मगर नियामक आयोग के ठीक से काम नहीं करने पर सरकार को इसे भंग करने का भी अधिकार होना चाहिए।
इस बारे में क्या फैसला लिया जाए इस पर अभी एक राय नहीं बन पाई है। सरकार चाहती है कि शिक्षा में इस तरह की व्यवस्था कायम की जाए कि आम आदमी भी अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिला सके और शिक्षा व्यवस्था ठेकेदारों के हाथों से दूर रहे। केजरीवाल सरकार शिक्षा प्रणाली में बदलाव के लिए तैयार हो रहे संशोधन बिल को भी आने वाले मानसून सत्र में पेश करेगी।