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विल्सन और कृष्णा को मिलेगा मैग्सेसे पुरस्कार

विल्सन को मैला ढोने की कुप्रथा से निजात दिलाने के प्रयासों के लिए जाना जाता है तो दक्षिण भारतीय संगीत विधा में योगदान के लिए कृष्णा प्रसिद्ध हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 07:35 PM (IST)
विल्सन और कृष्णा को मिलेगा मैग्सेसे पुरस्कार

मनीला, प्रेट्र। कर्नाटक में जन्मे बेजवाड़ा विल्सन और कर्नाटिक गायक टीएम कृष्णा को उनके उल्लेखनीय कार्यो के लिए वर्ष 2016 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चुना गया है। विल्सन को मैला ढोने की कुप्रथा से निजात दिलाने के प्रयासों के लिए जाना जाता है तो दक्षिण भारतीय संगीत विधा में योगदान के लिए कृष्णा प्रसिद्ध हैं।

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दो भारतीयों के साथ फिलीपींस के कोंचिता कार्पियो, इंडोनेशिया के डोम्पेट धौफा, जापान के वैश्विक सहयोग के कार्यकर्ता और लाओस के अंदरूनी संघर्ष के राहत दल को भी मैग्सेसे पुरस्कार दिया जाएगा। विल्सन सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक हैं। उन्हें मानव सम्मान के उत्थान के प्रयास के सिलसिले में और कृष्णा को संस्कृति को समाज से जोड़ने के कार्य के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। भारत के कुछ हिस्सों में हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा व्याप्त है।

इसकी रोकथाम के लिए कई सरकारी योजनाएं चल रही हैं लेकिन अभी उन्हें पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पाई है। माना जाता है कि 1,80,000 दलित अब भी इस कार्य को कर रहे हैं। इनमें 98 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां हैं। विल्सन (50) खुद मैला ढोने वाले परिवार में पैदा हुए हैं। उनका परिवार कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड्स कस्बे में रहता था। विल्सन मैला ढोने की कुप्रथा के खिलाफ 32 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। 40 वर्षीय कृष्णा ने साबित किया है कि संगीत भी जीवन और समाज के उत्थान में कार्य कर सकता है। चेन्नई के एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए कृष्णा को अपने चाचा से संगीत की शिक्षा मिली। अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बावजूद कृष्णा ने संगीत का साथ नहीं छोड़ा और जीवन को गायकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का फैसला किया।

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