डेढ़ घंटे में तीन बार बना ग्रीन कॉरिडोर, दिल और लिवर अलग-अलग पहुंचे दिल्ली
18 साल के दीपक का दिल मेदांता अस्पताल आधे घंटे पहले उड़ाकर ले गया। ये दिल 58 साल के व्यक्ति को ट्रांसप्लांट हुआ।
इंदौर। 18 साल के दीपक का दिल मेदांता अस्पताल आधे घंटे पहले उड़ाकर ले गया। ये दिल 58 साल के व्यक्ति को ट्रांसप्लांट हुआ। जैसे ही मेदांता की टीम दिल लेकर निकली तो दीपक की मां पीछे दौड़ पड़ी। जिस बॉक्स में दिल रखा था। वह बार-बार उसे छूकर बेटे के होने का एहसास कर रही थी। आधे घंटे बाद दिल्ली के सरकारी लिवर इंस्टिट्यूट की टीम रुटीन फ्लाइट से लिवर ले गई, इसे 66 साल की महिला को ट्रांसप्लांट किया गया। इसके साथ ही डेढ़ घंटे में तीन ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।
गुरुवार को 18 साल के दीपक धनेता के अंगों से छह लोगों को नई जिंदगी मिली। अरबिंदो अस्पताल में बुधवार को दानदाता को ब्रेनडेड घोषित किया गया था। परिवार काफी समझाइश के बाद अंगदान के लिए तैयार हुआ था। प्रशासन ने दो ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट, लिवर और किडनी भेजने की योजना बनाई, लेकिन अचानक गुरुवार को तीन कॉरिडोर बने। पहले दिल और लिवर एक साथ जेट की फ्लाइट से 12 बजे दिल्ली जाने वाले थे, लेकिन मेदांता अस्पताल की टीम ने ज्यादा देर रुकने में असमर्थता बताई।
इनके लिए पहला ग्रीन कॉरिडोर 11 बजे बनाया गया। वे अपनी चार्टर्ड फ्लाइट से 11.23 पर ही दिल लेकर रवाना हो गए, जो 7 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचा। इसके बाद लिवर इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर इन बिलियरी साइंसेस न्यू दिल्ली की टीम 12.4 मिनट पर लिवर लेकर निकले जो एयरपोर्ट पर 8 मिनट में पहुंचे। वे रुटीन फ्लाइट से लिवर लेकर रवाना हुए। इसके तुरंत बाद अरबिंदो से चोइथराम अस्पताल के लिए एक और ग्रीन कॉरिडोर बना। यह किडनी एक महिला को ट्रांसप्लांट की गई, जबकि दूसरी किडनी अरबिंदो अस्पताल में ही उज्जैन के 48 वर्षीय पुरुष को लगाई गई।
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जिनको भी बेटे के अंग मिले वे स्वस्थ रहें
मां मधु धनेता ने कहा कि सुना था कि लोग मरकर अंगदान करके दूसरों को जिंदगी देते हैं, लेकिन हमारा बेटा इतने लोगों को जिंदगी देगा, यह कभी कल्पना नहीं की थी। भगवान से कामना है कि जिन्हें भी यह अंग मिल रहे हैं, वे स्वस्थ रहें। हमारे बच्चे की धड़कन बनी रहे।
मेरा बेटा होता तो आपको समझाने नहीं आना पड़ता
दीपक के नाना शिवरतन ने परिवार को अंगदान के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। शिवरतन ने मुस्कान ग्रुप की टीम से कहा कि अगर दीपक मेरा बेटा होता है तो अंगदान के लिए मैं खुद आपसे संपर्क करता। आपको मुझे समझाने के लिए नहीं आना पड़ता।
प्लेटलेट्स डाउन हुए तो डॉक्टरों ने की व्यवस्था
अलसुबह ब्रेनडेड दीपक के ब्लड में प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगी थी। अरबिंदो अस्पताल के ट्रांसप्लांट समन्वयक डॉ. सीपी शुक्ला ने बैंक से प्लेटलेट्स की जैसे-तैसे व्यवस्था की और मरीज को चढ़ाया। इसके बाद दीपक का ऑर्गन रिट्रायवल हो सका।
छह लोगों की जिंदगी के लिए रातभर लगी रही टीम
छह लोगों की जिंदगी बचाने के लिए रातभर प्रशासनिक अफसर, मेडिकल और एनजीओ की टीम लगी रही। कमिश्नर संजय दुबे, ऑर्गन डोनेशन सोसायटी के डॉ. संजय दीक्षित, मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी, संदीपन आर्य आदि के समन्वय से अंगदान हो सके।
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