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'नेताजी' के गुस्से की भेंट चढ़ गये प्रोफेसर रामगोपाल यादव

नेताजी के हर गुस्से को शांत करने के माहिर प्रोफेसर आज खुद उनके गुस्से के शिकार हो गये।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 23 Oct 2016 09:02 PM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2016 11:50 PM (IST)
'नेताजी' के गुस्से की भेंट चढ़ गये प्रोफेसर रामगोपाल यादव

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। ब्लॉक से लेकर संसद की देहरी और सपा महासचिव पद तक पहुंचे प्रोफेसर रामगोपाल अपने परिवार की सियासी गुत्थी को समझने में नाकाम रहे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनके पार्टी से निकालने का ऐलान वही व्यक्ति करेगा जिसको प्रदेश अध्यक्ष बनाने के आदेश पर खुद उन्होंने ही चंद रोज पहले दस्तखत किए थे। नेताजी के हर गुस्से को शांत करने के माहिर प्रोफेसर आज खुद उनके गुस्से के शिकार हो गये।

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वर्ष 1988 में इटावा के बसरेहर ब्लॉक के अध्यक्ष चुने गये प्रोफेसर 1992-93 में संसद पहुंच गये। राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय 70 वर्षीय प्रोफेसर यादव अपने बड़े भाई मुलायम सिंह के साथ साया की तरह रहे। समाजवादी पार्टी में नेताजी के बाद प्रोफेसर से ही बड़े नेता डरते थे। समाजवादी पार्टी के चुनावी टिकट पर हमेशा प्रोफेसर के ही हस्ताक्षर होते रहे हैं। नेताजी के मुख्यमंत्री अथवा सांसदी का पर्चा प्रोफेसर ही भरते रहे हैं। पार्टी के थिंक टैंक कहे जाने वाले प्रोफेसर ने उस दिन भी नेताजी के गुस्से को थाम लिया, जब उन्होंने अखिलेश को बर्खास्त कर शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का लिखित फरमान जारी करने को कहा। लेकिन रामगोपाल ने उस दिन भी नेताजी को समझाकर उस चिट्ठी में रद्दोबदल कर जारी किया। यानी नेताजी का डिक्टेट किया हुआ लेटर भी बदलने का माद्दा रखते थे।

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छह पहले जब डिंपल यादव चुनाव हार गई थीं, तब प्रोफेसर के दबाव में ही अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकाला गया था। उसी दौरान की बात है जब मुलायम सिंह यादव की तल्ख बातों से नाराज होकर टेलीफोन बंद कर प्रोफेसर यादव इटावा लौट गये थे। तब मुलायम सिंह उन्हें मनाकर लाये। लेकिन इस समूचे एपिसोड में नेताजी तल्खी इस कदर बढ़ी कि वह खुद मुलायम नहीं हो सके। हालात बहुत बिगड़ गये। प्रोफेसर की राजनीतिक समझ की नेताजी बहुत सम्मान करते थे। मुलायम सिंह प्रोफेसर को इस कदर प्यार करते थे कि उन्होंने पत्रकारों से गुफ्तगू में कह दिया 'लोहिया जी को 58 फीसद अंक मिले थे और रामगोपाल को 59 फीसद। उन्हें कम मत आंको तुम लोग। वह बहुत काबिल हैं।'

प्रोफेसर रामगोपाल नजदीक से जानने वाले इस पूरे प्रकरण से हैरान हैं और शिवपाल के लगाये आरोपों पर उन्हें यकीन नहीं आ रहा है। राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान ने प्रोफेसर की धर्मनिरपेक्षता पर उठे सवालों पर चिंता जताई और उन्हें खांटी समाजवादी करार दिया। सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि प्रोफेसर रामगोपाल के परिवार के सदस्यों पर गये आरोप बेबुनियाद हैं।

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