मिलिए इन पांच महिलाओं से जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को पहुंचाया अंजाम तक
आइए आपको उन पांच महिलाओं से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने तीन तलाक की प्रथा को कोर्ट में चुनौती दी और इस अंजाम तक पहुंचाया।
नई दिल्ली, जेएनएन। तीन तलाक के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। एक साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए इस प्रथा पर छह महीने तक के लिए रोक लगा दी। वहीं केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले में संसद में कानून बनाए। आइए आपको उन पांच महिलाओं से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने तीन तलाक की प्रथा को कोर्ट में चुनौती दी और इस अंजाम तक पहुंचाया।
शायरा बानो
35 वर्षीय शायरा बानो की शादी इलाहाबाद के रहने वाले वाले रिजवान अहमद से हुई थी। वह मूल रूप से उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली हैं। शादी के बाद 15 साल बाद उनके पति ने 2015 में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर दिया। इसके बाद शायरा ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में उन्होंने तलाक-ए बिदत, बहुविवाह और निकाह हलाला को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की। शायरा के दो बच्चे भी हैं।
इशरत जहां
30 वर्षीय इशरत जहां पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली हैं। उनके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक देकर रिश्ता खत्म कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनके चार बच्चे हैं। उन्होंने अपने पति पर बच्चों को जबरन अपने पास रखने का आरोप लगाया है। इशरत के पति दूसरी शादी कर ली है। उन्होंने अपनी याचिका में बच्चों को वापस दिलाने और पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।
जाकिया सोमन
जाकिया सोमन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की संस्थापक हैं। उनकी संस्था ने लगभग 50 हज़ार मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा था। ज्ञापन में तीन तलाक को ग़ैर क़ानूनी बनाने की मांग की गई थी। इस पर मुस्लिम समाज के कई पुरुषों ने भी हस्ताक्षर किए थे। यह संस्था पिछले 11 सालों से मुस्लिम महिलाओं के बीच काम कर रही है।
आफरीन रहमान
राजस्थान के जयपुर की रहने वालीं 26 वर्षीय आफरीन रहमान ने एक मैट्रिमोनियल पोर्टल के जरिए 2014 में शादी की थी। हालांकि दो-तीन महीने बाद ही उनके ससुराल वालों ने दहेज को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इसके बाद वह अपने माता-पिता के पास वापस लौट आईं। पिछले साल मई में उन्हें स्पीड पोस्ट के जरिए एक खत मिला, जिसमें तलाक का एलान किया गया था। इसके बाद उन्होंने कोर्ट का रुख किया।
गुलशन परवीन
उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वालीं 31 वर्षीय गुलशन परवीन ने 2013 में शादी की थी और दो साल तक दहेज को लेकर घरेलू हिंसा का शिकार होती रहीं। इसके बाद 2015 में उन्हें 10 रुपए के एक स्टाम्प पेपर पर पति की तरफ से तलाकनामा मिला।
ऐसी ही कई और मुस्लिम महिलाएं हैं, जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट का रुख किया और अंजाम सबके सामने है। पिछले कुछ समय में कई मुस्लिम महिलाएं खुलकर इस प्रथा के विरोध में खड़ी हो गई हैं। आज जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो कुछ महिलाओं ने मिठाइयां बांटकर खुशी मनाई और फैसले की सराहना की।
यह भी पढ़ें: 'तलाक के वक्त भी गवाह और वकील हों जरूरी, महिलाओं ने काफी बर्दाश्त किया'