युवाओं को बरगलाना था लश्कर आतंकी अब्दुल क्यूम का मकसद
लश्कर आतंकी अब्दुल क्यूम शुक्रवार को अखनूर के सीमावर्ती परगवाल इलाके में घुसपैठ करते पकड़ा गया था।
जम्मू [सुरेंद्र सिंह]। लश्कर आतंकी अब्दुल क्यूम का मकसद जम्मू-कश्मीर में किसी धार्मिक स्थल में शरण लेकर युवाओं को बरगलाना था। कश्मीर में लश्कर के पोस्टर ब्यॉय बुरहान बानी के मारे जाने के बाद आतंकी संगठन के सामने युवाओं को शामिल करने व पैसा जुटाने में मुश्किल आ रही है। अब्दुल क्यूम को इसी मकसद से सीमा पार से घुसपैठ करवाई गई।
वह शुक्रवार को अखनूर के सीमावर्ती परगवाल इलाके में घुसपैठ करते पकड़ा गया था।बीएसएफ ने अब्दुल क्यूम निवासी सियालकोट, पाकिस्तान को पूछताछ के लिए पुलिस के हवाले कर दिया जहां से उसे अखनूर थाने ले जाया गया। उसने पुलिस के सामने पर्दाफाश किया कि वह एके-47 के अलावा यूएसएम-16, एमजी-3 व लाइट मशीन गन चलाने में प्रशिक्षित है। उसने स्पेशल कमांडो कोर्स भी किया है जो किसी भी बड़े हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को करवाया जाता है।
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उसने आतंकी ट्रेनिंग के दौरान इस्लाम की शिक्षा भी हासिल की है। कुछ समय के लिए पाकिस्तान में प्रचारक का काम भी किया। कई युवाओं को बरगला कर आतंक के रास्ते में धकेला। पूछताछ के दौरान आतंकी ने पुलिस व बीएसएफ के अधिकारियों के समक्ष दावा किया कि वह आध्यात्मिक शक्ति का मालिक है। ताबीज बनाना जानता है। उसका इरादा जम्मू-कश्मीर के धार्मिक स्थलों में शरण लेकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर लोगों को अपने बस में करना था जिससे उसके संगठन के लिए पैसा जुटाने व युवाओं को बरगला उन्हें आतंक की राह पर धकेलने के दो मकसद पूरे होते।
12वीं तक पढ़े अब्दुल क्यूम को कंप्यूटर का ज्ञान भी है। 2004 में उसके ही कुछ दोस्तों ने उसे मनेसा में चल रहे आतंकी कैंप में जाने को कहा था। वह सियालकोट से न होकर गुजरांवाला से मनेसा गया था। उसे शक था कि सियालकोट में उसके रिश्तेदार रहते हैं। वे उसे वहां जाने नहीं देंगे। इतना ही नहीं वह घुड़सवारी में भी पूरी तरह से प्रशिक्षित है। उसने घुड़सवारी करना आतंकी ट्रेनिंग के दौरान सीखा था।
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