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गुजरात: वाघेला की नाराजगी से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी

आगामी चुनावों में गुजरात में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का सपना देख रही कांग्रेस के लिए पार्टी के ही वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला की नाराजगी से मुश्किलें बढ़ गईं हैं।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Sun, 21 May 2017 01:11 AM (IST)Updated: Sun, 21 May 2017 05:55 AM (IST)
गुजरात: वाघेला की नाराजगी से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी
गुजरात: वाघेला की नाराजगी से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी

संजय मिश्र, नई दिल्ली। गुजरात में बीस साल बाद भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का मंसूबे संजो रही कांग्रेस अपने नाराज दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला को मनाने के फार्मूले पर गौर कर रही है। पार्टी इसके तहत वाघेला को प्रदेश चुनाव अभियान या चुनाव समिति में से किसी एक की कमान देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। हालांकि पार्टी ने वाघेला को यह साफ संदेश दे दिया है कि गुजरात में चुनाव से पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी।

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इस दो टूक संदेश के बावजूद कांग्रेस को गुजरात में वाघेला के चेहरे की सियासी अहमियत का गहरायी से अहसास है। मगर चुनाव से ठीक पहले नेतृत्व के सवाल पर अंदरूनी लड़ाई और न बढ़े इसको लेकर पार्टी नेतृत्व खासा सतर्क है। हाईकमान की नजर में वाघेला के दबाव में झुकने पर पार्टी के दूसरे दिग्गज नेता नाराज होंगे और कांग्रेस अभी यह जोखिम नहीं ले सकती। नेतृत्व साफ तौर पर मुख्यमंत्री पद के अपने दूसरे सबसे प्रबल दावेदार नेता भरत सोलंकी को भी नाराज नहीं करना चाहता।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोलंकी को वाघेला के मुकाबले सीएम पद का बेहतर उम्मीदवार माना जा रहा है। इसी वजह से वाघेला ने दबाव बनाने की रणनीति के तहत पहले राहुल गांधी को ट्विटर पर अनफॉलो किया और फिर एक सप्ताह के गुप्त अवकाश पर चले गए हैं। वाघेला के इस रुख को उनके पार्टी छोड़ने की आशंका के रूप में भी देखा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ने इसीलिए वाघेला को चुनाव में अहम रोल देने की पेशकश का मन बनाया है। इस क्रम में उन्हें चुनाव अभियान समिति या प्रदेश चुनाव समिति दोनों में से किसी एक की कमान देने का प्रस्ताव दिया गया है। कांग्रेस चुनाव के लिए वाघेला और सोलंकी दोनो को बराबर तवज्जो देकर साधे रहना चाहती है। ताकि अंदरूनी लड़ाई की वजह से बीस साल बाद सत्ता में आने का मौका फिर हाथ से न निकल जाए। कांग्रेस का आकलन है कि 15 साल में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के बिना भाजपा चुनाव में उतरेगी। इसीलिए इतने सालों की सत्ता विरोधी लहर और गुजरात के मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को साध कांग्रेस सत्ता में लौट सकती है।

पाटीदार आंदोलन के चेहरे हार्दिक पटेल, दलित उत्पीड़न के खिलाफ आक्रामक चेहरे के रूप में सामने आए जिग्नेश मेवानी और गुजरात में ओबीसी के नेता के रूप में उभरे अल्पेश ठाकुर तीनों भाजपा के खिलाफ काफी मुखर हैं। हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को चुनाव में समर्थन देने के सवाल से इन्कार नहीं किया है। भाजपा के खिलाफ इन तीनों की राजनीतिक धारा को देखते हुए कांग्रेस इसे अपने लिए फायदेमंद मान रही है। इस संभावना को देखते हुए ही सोनिया और राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात का प्रभारी महासचिव बनाया है।

गहलोत पर वाघेला और सोलंकी समेत सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की बड़ी जिम्मेदारी है। तभी गहलोत ने वाघेला को साफ बता दिया कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार कांग्रेस नेतृत्व घोषित नहीं करेगा और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। हालांकि इस दौरान वाघेला को यह आश्वासन भी दिया गया कि पार्टी उनकी वरिष्ठता और योगदान का पूरा ख्याल रखेगी। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल भी वाघेला को मनाने की कोशिशों में अहम भूमिका निभा रहे हैं और लगातार गुजरात के दौरे भी कर रहे हैं।

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