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सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश देने से किया इन्कार

सुप्रीमकोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में यथास्थिति कायम रखने के आदेश देने से सोमवार को इन्कार कर दिया। कोर्ट ने पूर्व स्पीकर नबम राबिया के वकील की दलील खारिज करते हुए कहा कि वे हर किसी को कोर्ट से निर्देश लेकर काम करने का आदेश नहीं दे सकते।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 09:06 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 09:18 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश देने से किया इन्कार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीमकोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में यथास्थिति कायम रखने के आदेश देने से सोमवार को इन्कार कर दिया। कोर्ट ने पूर्व स्पीकर नबम राबिया के वकील की दलील खारिज करते हुए कहा कि वे हर किसी को कोर्ट से निर्देश लेकर काम करने का आदेश नहीं दे सकते।

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ये बात सोमवार को न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मामले में सुनवाई के दौरान कीं। इससे पहले सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नारिमन ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कोर्ट मामले में यथास्थिति कायम रखने का आदेश दे। उन्होंने कहा कि अरुणाचल में डिप्टी स्पीकर मामला कोर्ट में लंबित रहते हुए स्थिति बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

डिप्टी स्पीकर ने राज्यपाल को पत्र लिख कर कहा है कि वे ही इस समय सारा कामकाज देख रहे हैं इसलिए सारे दस्तावेज और जरूरी चीजें उन्हें दी जानी चाहिए। नारिमन का कहना था कि डिप्टी स्पीकर के इस पत्र पर राज्यपाल कानूनी सलाह ले रहे हैं लेकिन जब मामला सुप्रीमकोर्ट में लंबित तो इस बीच मौजूदा स्थिति में बदलाव कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को निर्देश दिया जाए कि वे मामले में यथास्थिति बनाए रखें। इन दलीलों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि वे हर किसी को कोर्ट से निर्देश लेकर काम करने का आदेश नहीं दे सकते। पीठ ने कहा कि अगर उनके सामने कोई विशेष मामला आता है तब वे उस पर विचार करेंगे लेकिन इस बारे में कोई जनरल निर्देश नहीं देंगे। इस पर नारिमन ने कहा कि वे इस बारे में अर्जी दाखिल कर रहे हैं।

इस बीच अटार्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि सभी जब्त आफिशियल दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को देने के आदेश में बदलाव किया जाए। उन्होंने कोर्ट के समक्ष करीब हजार दस्तावेजों की सूची पेश कर कहा कि उनकी समझ में इन दस्तावेजों का याचिकाकर्ता से कोई संबंध नहीं है और इन्हें देने की जरूरत भी नहीं है।

रोहतगी ने कोर्ट को ये भी बताया कि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के दफ्तर सील नहीं किये गये हैं इसलिए याचिकाकर्ताओं की ओर से दफ्तर सील करने और निजी दस्तावेज जब्त करने के लगाए गए आरोप गलत हैं। उनकी दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वे ये नहीं पूछ रहे कि कौन से दस्तावेज याचिकाकर्ताओं से संबंधित हैं और कौन से नहीं। सरकार सारे जब्त दस्तावेजों की सूची याचिकाकर्ताओं को कल तक सौंपे। सूची देखने के बाद याचिकाकर्ता उससे चुन कर बताएंगे कि उन्हें कौन से दस्तावेज चाहिए हैं और कौन से नहीं।

उधर गुवहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर आज भी बहस जारी रही। बागी विधायकों के वकील राकेश द्विवेदी ने आज भी दोहराया कि राज्यपाल को सेशन बुलाने का विवेकाधिकार है। इस मामले में कल भी सुनवाई होगी।


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