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नौनिहालों के जीवन में भरा शिक्षा का उजियारा

एक बच्चे को भट्ठे से स्कूल तक लाने में अध्यापकों के करीब तीन से चार हजार रुपये खर्च हुए जो उन्होंने खुद वहन किया है। इनके माता पिता की काउंसलिंग भी की गई।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 10:43 AM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 10:43 AM (IST)
नौनिहालों के जीवन में भरा शिक्षा का उजियारा
नौनिहालों के जीवन में भरा शिक्षा का उजियारा

बहादुरगढ़ (ब्युरो)। शिक्षा के इन द्रोणाचार्यों को सलाम तो बनता ही है, जिन्होंने भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के 21 बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा भर दिया। इतना ही नहीं, गांव गोहरां के सरकारी स्कूल के ये अध्यापक इसलिए भी तारीफ के काबिल हैं, क्योंकि इन्होंने बच्चों को समाज की मुख्य धारा में शामिल कराने के लिए न केवल अपने खर्च पर उनके अस्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र बनवाए, बल्कि उनके आधार कार्ड भी बनवा दिए।

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मुख्याध्यापक पहुंचे भट्ठे पर : विगत दिनों गोहरां के राजकीय उच्च विद्यालय के अध्यापक नामांकन अभियान के तहत सर्वे कर रहे थे। पता चला कि एक भट्ठे पर मजदूरों के बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। सर्वे में इनकी संख्या 21 पाई गई। सूचना पर हेड मास्टर जय भगवान शर्मा ने अध्यापकों की टीम बनाकर भेजी। भट्ठे पर पता चला कि ये उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और अस्थाई तौर पर यहां काम कर रहे हैं। जिनके पास न तो कोई नागरिकता का प्रमाण पत्र है और न ही बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र। अध्यापकों ने गांव के सरपंच से बात कर इनका अस्थाई मजदूर का शपथ पत्र तैयार करवाया और कर्मचारियों को स्कूल में बुलाकर बच्चों के आधार कार्ड बनवाए। एक बच्चे को भट्ठे से स्कूल तक लाने में अध्यापकों के करीब तीन से चार हजार रुपये खर्च हुए जो उन्होंने खुद वहन किया है। इनके माता पिता की काउंसलिंग भी की गई।

इनके प्रयासों से यहां तक पहुंचे ये बच्चे : हेड मास्टर जय भगवान शर्मा, हेड मास्टर प्राइमरी सुरेश कुमार, लेक्चरर बूटा सिंह, अध्यापक रामपाल, जितेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, अनिल के प्रयासों से ये बच्चे स्कूल तक पहुंच पाए हैं। इनका कहना है कि इन बच्चों को कक्षा में बैठा देखकर उनको बहुत खुशी मिलती है। जब वे भट्ठे पर पहुंचे तो ये नंगे तन बाहर घूम रहे थे।

वर्दियां और बैग भी अपने खर्चे पर : हेड मास्टर शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग की तरफ से वर्दियां के लिए जो पैसे मिलने थे वो छुट्टियों के बाद ही मिल पाएंगे, लेकिन बच्चों को दूसरे बच्चों के मुकाबले कोई कमी महसूस न हो इसलिए स्कूल स्टाफ ने इनकी वर्दी और बैग का इंतजाम भी अपने खर्चे पर कर लिया है। बच्चों के बैंक खाते खुलवाए जा रहे हैं। जैसे ही खाते खुल जाएंगे इनकी प्रोत्साहन राशि भी खातों में आनी शुरू हो जाएगी।

-कैथल में 21 बच्चों को भट्ठे से स्कूल तक ले आई अध्यापकों की टीम
-अपने खर्चे से तैयार कराए नागरिकता प्रमाणपत्र और आधार काड

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