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हाई कोर्ट ने मांगा सोशल मीडिया के साथ अनुबंध का प्रारूप

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह उस अनुबंध को अदालत के समक्ष पेश करे जिससे यह पता लगाया जा सके कि फेसबुक (एफबी) व ट्विटर के पास सामग्री अपलोड करने का बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 08:59 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 09:10 PM (IST)
हाई कोर्ट ने मांगा सोशल मीडिया के साथ अनुबंध का प्रारूप

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह उस अनुबंध को अदालत के समक्ष पेश करे जिससे यह पता लगाया जा सके कि फेसबुक (एफबी) व ट्विटर के पास सामग्री अपलोड करने का बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) है। न्यायमूर्ति बीडी अहमद व संजीव सचदेव की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील संजय जैन ने इस बारे में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अगस्त की तारीख तय की है।

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इससे पूर्व 7 मई को अदालत ने कहा था कि ऐसा लगता है कि जब सोशल मीडिया पर कोई सामग्री अपलोड होती है तो वेबसाइट को बिना रॉयल्टी दिए उसका आइपीआर मिल जाता है। अदालत ने कहा था कि क्या केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी है कि सोशल मीडिया में ऐसे विकल्प होते हैं, जिन्हें चुनने से उपयोग करने वाला आइपीआर को रोक सकता है।

अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि सामग्री अपलोड करने में आइपीआर का लाइसेंस दिया जा सकता है। जब सरकार ने बिना किसी रॉयल्टी के मुफ्त में लाइसेंस दे ही दिया है तो इसे सरकार की उदारता ही कहा जाएगा। इस मामले में भाजपा नेता केएन गोविंदाचार्य ने याचिका दायर की थी। याचिका में प्रधानमंत्री कार्यालय समेत अन्य मंत्रालयों के सोशल मीडिया के उपयोग करने पर आपत्ति जताई गई थी।


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