गरीबों की मदद बन चुका है इनके जीवन का मकसद
कृष्ण मोहन सिंह मुन्ना ने भागलपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके बाद एलएलबी की डिग्री भी ली। अपने क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
खगड़िया (निर्भय झा)। उच्च शिक्षा पाने के बाद लोगों को मकसद नाम व पैसा कमाना होता है। खगड़िया के सन्हौली निवासी कृष्ण मोहन सिंह मुन्ना ने भागलपुर में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान गरीबों व वंचितों की सेवा का प्रण ले लिया। अपने क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इनकी मदद से सैकड़ों महिलाएं और युवा आत्मनिर्भर बन चुके हैं। इनका कहना है कि लोग स्वरोजगार को मूलमंत्र बना लें तो गरीबी खुद- ब-खुद समाप्त हो जाएगी।
अर्थशास्त्र से आर्थिक स्थिति सुधार का आया आइडिया : कृष्ण मोहन सिंह मुन्ना ने भागलपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके बाद एलएलबी की डिग्री भी ली। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही इन्होंने गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम करने का संकल्प लिया।
दंगा पीड़ितों की भी की सहायता : 1989 में भागलपुर में दंगे भड़क गए थे। इस दौरान कृष्ण ने युवाओं की टोली बनाकर दंगा पीड़ितों की मदद की। कई बार ये खतरे में पड़ते-पड़ते बच गए।
स्वरोजगार को दिया बढ़ावा : भागलपुर से उच्च शिक्षा ग्रहण करने बाद मुन्ना फरकिया लौट आए। यहां उन्होंने गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम शुरू किया। इन्होंने सर्वप्रथम महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा। इसके लिए फरकिया के सुदूर गांवों में 50 समूह बनाए। महिलाओं को पत्तल, सत्तू, बड़ी आदि बनाने के प्रशिक्षण के अलावा गोपालन, बकरी पालन, सिलाई-कटाई, नर्सिंग आदि की भी ट्रेनिंग दिलवाई।
युवाओं को जोड़ा किसान क्लब से : गरीबों को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ने का उनका काम लगातार जारी है। किसानों की मदद के लिए किसान क्लब का गठन कर ये बेरोजगार युवाओं को खेती की तकनीक बताते हैं। कृष्ण के प्रयास से आज सैकड़ों लोग स्वरोजगार से जुड़कर आत्मनिर्भर बने हैं। कृष्ण मोहन कहते हैं कि मेरी एक ही ख्वाहिश है कि अमीरी और गरीबी का फर्क खत्म हो। समाज के बीच आपसी समन्वय व समरसता बरकरार रहे। लोग अगर स्वरोजगार के लिए राजी हो जाएं तो तो समाज से गरीबी उन्मूलन संभव है।
-सैकड़ों लोगों को पढ़ाया स्वावलंबन का पाठ
-कहा-अमीरी व गरीबी का फर्क खत्म करने की तमन्ना
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