सरदार सरोवर डूब प्रभावितों के वयस्क पुत्रों को जमीन का अधिकार
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा है कि इस बांध के विस्थापितों के वयस्क पुत्रों को जमीन पाने का हक है। कोर्ट ने इस मामले में दायर मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली । नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा है कि इस बांध के विस्थापितों के वयस्क पुत्रों को जमीन पाने का हक है। कोर्ट ने इस मामले में दायर मध्य प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।
यह याचिका मध्य प्रदेश सरकार और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने दायर की थी। याचिका में विस्थापितों के वयस्क पुत्रों को जमीन का अधिकार समाप्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने वयस्क पुत्रों को जमीन देने में असमर्थता जताई थी।
जस्टिस मदन लोकुर व जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने याचिका खारिज कर दी। नर्मद बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 2000 और 2005 में अदालत द्वारा दिए गए आदेशों पर कोई पुनर्विचार संभव नहीं है। पाटकर के मुताबिक जजों ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि यदि 2005 का आदेश गलत था, तो उसी समय पुनर्विचार याचिका दाखिल की जानी चाहिए थी।
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पीठ ने यह भी माना कि मध्य प्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र में आज तक हजारों लोगों की पात्रता स्वीकार की गई और इसके आधार पर जमीन आवंटन व नकद भुगतान भी हुआ है। अब बचे हुए विस्थापितों को अधिकार से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14 (समता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। पाटकर ने बताया कि उक्त आदेश के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार को हजारों वयस्क पुत्रों को खेती लायक सिंचित जमीन देनी होगी।
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