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अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई का लोस उपाध्यक्ष बनना लगभग तय

अन्नाद्रमुक के सांसद एम. थंबीदुरई ने मंगलवार को लोकसभा उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा। कांग्रेस का भी समर्थन मिलने के बाद अब उनका निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है। इस बीच, संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि बिल पास नहीं होने के चलते संसद का सत्र बढ़ाया जा सकता है।

By Edited By: Published: Tue, 12 Aug 2014 05:54 AM (IST)Updated: Tue, 12 Aug 2014 02:37 PM (IST)
अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई का लोस उपाध्यक्ष बनना लगभग तय

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अन्नाद्रमुक के सांसद एम. थंबीदुरई ने मंगलवार को लोकसभा उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा। कांग्रेस का भी समर्थन मिलने के बाद अब उनका निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है। इस बीच, संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि बिल पास नहीं होने के चलते संसद का सत्र बढ़ाया जा सकता है।

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एम. थंबीदुरई के पहले नामांकन पत्र के प्रस्तावक गृहमंत्री राजनाथ सिंह और अनुमोदक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हैं। कांग्रेस ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया और लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने उनके नाम के प्रस्तावक के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उसका अनुमोदन किया। लोकसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव बुधवार को होना है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तेदेपा, शिवसेना, लोजपा जैसे राजग के सहयोगी और बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा सपा जैसे दलों ने भी उनके समर्थन में कम से कम आठ सेट नामांकन पत्र दाखिल किए। इससे पहले आज थम्बीदुरई समेत अन्नाद्रमुक सांसदों ने संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू से उनके कक्ष में मुलाकात की और वह इस पद के लिए सत्तारूढ़ पार्टी की पसंद के रूप में उभरे। अन्नाद्रमुक के लोकसभा में 37 सांसद है और वह भाजपा तथा कांग्रेस के बाद सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। भाजपा के लोकसभा में 279 सदस्य हैं जबकि कांग्रेस के 44 सांसद हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अन्नाद्रमुक के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहती है। राज्यसभा में भी अन्नाद्रमुक का संख्याबल भी महत्वपूर्ण है। लिहाजा, थंबीदुरई का नाम पहले से ही चर्चा में था। वैसे भी उन्हें संसद में इस जिम्मेदार पद का अनुभव रहा है।

उपाध्यक्ष का पद यूं तो मुख्य विपक्षी दल को दिया जाता है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का पद पाने की योग्यता भी खो चुकी कांग्रेस को सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उसे सिर्फ पीएसी की अध्यक्षता से संतोष करना पड़ेगा। तीन दर्जन से ज्यादा सीटें पाकर अन्नाद्रमुक कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

ऐसे में माना जा रहा है कि थंबीदुरई अब सदन के अंदर उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगे जो विपक्ष की ओर से पहली सीट होती है। संख्याबल को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष की तरह उनका चुनाव भी निर्विरोध होने की पूरी संभावना है।

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