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एक साल के लिए और बढ़ेगा सुब्रमण्यम का कार्यकाल

पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के सीनियर फेलो सुब्रमण्यम को अक्टूबर, 2014 में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 10:37 PM (IST)Updated: Sat, 23 Sep 2017 10:37 PM (IST)
एक साल के लिए और बढ़ेगा सुब्रमण्यम का कार्यकाल
एक साल के लिए और बढ़ेगा सुब्रमण्यम का कार्यकाल

नई दिल्ली, प्रेट्र : केंद्र सरकार मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को यह जानकारी दी। अरविंद अब अक्टूबर, 2018 तक अपने पद पर बने रहेंगे। इसके साथ ही सुब्रमण्यम उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो गए हैं, जिन्हें मोदी सरकार में सेवा विस्तार मिला है। सीईए को तौर पर उनका मौजूदा कार्यकाल अगले महीने की 16 तारीख को समाप्त हो रहा है। सीईए वित्त मंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देता है। इसके अलावा आर्थिक समीक्षा और मध्यावधि समीक्षा तैयार करना भी उसकी जिम्मेदारी है।

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पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के सीनियर फेलो सुब्रमण्यम को अक्टूबर, 2014 में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल तीन साल के लिए था। केंद्र की राजग सरकार का पांच साल का कार्यकाल मई, 2019 में पूरा होगा। सूत्रों का कहना है कि सभी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद अरविंद के कार्यकाल बढ़ाने का औपचारिक तौर पर एलान किया जाएगा। वह रघुराम राजन के बाद इस पद पर आए थे। राजन ने रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाए जाने के बाद सितंबर, 2013 में सीईए का पद छोड़ दिया था।

आर्थिक मामलों में वित्त मंत्री अरुण जेटली को सलाह देने वाले अरविंद को सरकार की कई आर्थिक नीतियों और स्कीमों के पीछे का दिमाग माना जाता है। उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें अलग हटकर कई आइडिया देने का श्रेय जाता है। इसमें सभी को एक निश्चित आय यानी यूनवर्सल बेसिक इनकम मुहैया कराने का विचार शामिल है। इसको लेकर सरकार के भीतर और बाहर काफी बहस चली है। उन्होंने सरकार की ओर से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और वित्तीय समावेश से जुड़ी स्कीमों- जन धन, आधार व मोबाइल को मिलाकर जैम का नाम दिया। सुब्रमण्यम ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक करने के बाद आइआइएम, अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमफिल और डीफिल की डिग्री ली है।

 कई मोर्चो पर आर्थिक चुनौतियों से जूझने की जरूरत : अरविंद

अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से दो-चार है। आर्थिक विकास दर धीमी पड़ रही है। निवेश नहीं बढ़ रहा है। इसीलिए आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए एक साथ विनिमय दर, सार्वजनिक निवेश जैसे कई मोर्चो पर निपटना होगा। सुब्रमण्यम ने यह बात कही है। खास बात यह है कि कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय के तुरंत बाद उनका यह बयान आया है। अरविंद ने बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या को भी चिंता की प्रमुख वजह बताया है।

रुपये में मजबूती पर सुब्रमण्यम ने कहा कि सभी उभरती अर्थव्यवस्थाएं इस समस्या से जूझ रही हैं। पूंजी प्रवाह में इजाफा होने से विनिमय दर पर दबाव बढ़ा है। प्रोत्साहन पैकेज पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि इस पर काम किया जा रहा है। सही समय पर इसकी घोषणा की जाएगी। सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बिजली और रेलवे समेत कई क्षेत्रों को बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देने की योजना बना रही है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई।


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