वीजा मुद्दे पर और तल्खी बढ़ने के आसार
नासकॉम ने एक बार अमेरिका को आग्रह किया है भारतीय आइटी कंपनियों की राह रोक कर वह अपनी अर्थव्यवस्था के लिए ही मुसीबत पैदा कर रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । भारत और अमेरिका के बीच एच-1बी वीजा विवाद और तेज हो सकता है। अमेरिकी सरकार की तरफ से भारत की दो बड़ी आइटी कंपनियों इंफोसिस और टीसीएस पर वीजा हासिल करने के मामले में गड़बड़ी करने के आरोप का नासकॉम ने कड़ा विरोध किया है। नासकॉम भारत की आइटी कंपनियों का शीर्षस्थ संगठन है। नासकॉम ने कहा है कि जिन भारतीय कंपनियों पर आरोप लगाया जा रहे हैं उन्होंने वर्ष 2014-15 में अमेरिका की तरफ से दिए गए कुल एच-1बी वीजा का महज 8.8 फीसद ही हासिल किया था। उधर, ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस बात का संकेत दिए गए हैं कि वह विदेशी पेशेवरों के प्रवेश पर सख्ती करने की नीति पर अडिग रहेगा।
नासकॉम ने एक बार अमेरिका को आग्रह किया है भारतीय आइटी कंपनियों की राह रोक कर वह अपनी अर्थव्यवस्था के लिए ही मुसीबत पैदा कर रहा है। इसमें अमेरिकी श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि वहां 24 लाख पेशेवरों की कमी विज्ञान, गणित व तकनीकी क्षेत्रों में हैं। इनका 50 फीसद कमी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में है। जहां तक अमेरिका की तरफ से दी गई कुल एच-1बी वीजा का सवाल है तो इसका 20 फीसद ही भारतीय आइटी कंपनियों को मिला है। हां, यह अलग बात है कि वर्ष 2014-15 में इस श्रेणी के जितने वीजा दिए गए उसका 71 फीसद भारतीयों को मिले हैं। यह इसलिए हुआ है कि अमेरिकी कंपनियों ने भी भारत से प्रशिक्षित पेशेवरों को वहां ले जाना पसंद करती हैं। इस वजह से ही भारत का आइटी निर्यात 110 अरब डॉलर का बना हुआ है।
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नासकॉम ने अमेरिकी प्रशासन के इस आरोप को भी आधारहीन बताया है कि भारतीय आइटी कंपनियां कम वेतन दे कर अपनी लागत को कम करत हैं और इस वजह से वे स्थानीय नौकरियों को हतोत्साहित करती हैं। नासकॉम के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिका में अपने पेशेवरों को वहां की सरकार की तरफ से निर्धारित न्यूनतम वेतन से 35 फीसद ज्यादा देते हैं। भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिका की शीर्ष 500 कंपनियों में से 75 फीसद को अपनी सेवा दे रही हैं। इन कंपनियों ने स्थानीय स्तर पर पांच लाख से ज्यादा नौकरियां वहां दी है।
अमेरिका की नई सरकार ने हाल के दिनों में एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने की कवायद शुरु की है। उपरोक्त आंकड़ों से तय है कि भारत के लिए यह बड़ी चुनौती है। यही वजह है कि भारत सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है और मामले को विश्व व्यापार संगठन तक ले जाने की धमकी दी है। उद्योग व वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां तक कहा है कि जो देश भारतीय पेशेवरों पर रोक लगा रही हैं उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि उनकी कंपनियां भी भारत में हैं और यहां मुनाफा कमा रही हैं।