कहीं चीन के भारत से चिढ़ने की वजह ये तो नहीं !
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में भी ओबोर को लेकर भारत की चिंताओं का समर्थन है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन ने सिक्किम-भूटान सीमा के पास डोकलाम क्षेत्र में आखिरकार इतना आक्रामक तेवर दिखाना क्यों शुरु किया है? इसका कोई सीधा सा जवाब किसी के पास तो नहीं है लेकिन कूटनीति से जुड़े लोग और भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी इसे हाल के पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और इसके 'पहले वन बेल्ट वन रोड (ओबोर)' पर भारत के विरोध से जोड़ कर देख रहे हैं।
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना अपनी मर्जी से यह पूरा काम नहीं कर रही है बल्कि जिस तरह से वहां के रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय लगातार भारत को निशाना बना क र बयान दे रहे हैं वह उनकी पूरी साजिश का नतीजा है। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक भारत के विरोध ने जिस तरह से चीन की महत्वाकांक्षी ओबोर परियोजना पर कई तरह से सवाल उठा दिए हैं उससे चीन को काफी परेशानी हो रही है। भारत के विरोध के बाद कई देशों में चीन की तरफ से इस परियोजना को दिए जाने वाले कर्ज को लेकर सवाल उठने शुरु हो गये हैं।
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में भी ओबोर को लेकर भारत की चिंताओं का समर्थन है। ट्रंप सरकार ने खुल कर भारत का समर्थन करना शुरु कर दिया है और भारत को तीन नए अत्याधुनिक हथियार देने की घोषणा की है जिससे चीन की निगरानी में मदद मिलेगी। ये सारी बातें चीन को नागवार गुजर रही है और इसी वजह से उसने नया बखेड़ा शुरु किया है।
जानकार मान रहे हैं कि आगे किस तरफ स्थिति जाएगी, यह बहुत कुछ समूह-20 देशों की बैठक में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली संभावित द्विपक्षीय बातचीत में तय होगी। वैसे दोनों पक्षों की तरफ से अभी इस बातचीत के लिए आधिकारिक तौर पर कोई प्रस्ताव नहीं आया है लेकिन समूह-20 की बैठक दिन भर चलती है और अनौपचारिक तौर पर एक देश के राष्ट्राध्यक्ष का दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्षों से कई बार आमना सामना होता है।
इसके अलावा जल्द ही ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक भी चीन में होने वाली है। वहां मोदी और शिनफिंग के बीच आधिकारिक तौर पर बैठक होनी तय है। पूर्व में जब भी चीन की तरफ से सीमा का उल्लंघन किया गया है तो उसके पीछे उसकी सौदेबाजी की मंशा रही है।
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