'एक भी जगह बताए सरकार, जहां गंगा साफ हो'
करोड़ों हिंदुओं की आस्था की प्रतीक गंगा नदी की साफ-सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार की जमकर खबर ली है। उसने सरकार से पूछा है कि वह एक भी ऐसी जगह बताए, जहां गंगा साफ हो।
नई दिल्ली। करोड़ों हिंदुओं की आस्था की प्रतीक गंगा नदी की साफ-सफाई को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्र सरकार की जमकर खबर ली है। उसने सरकार से पूछा है कि वह एक भी ऐसी जगह बताए, जहां गंगा साफ हो। एनजीटी का कहना है कि लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा की हालत बद से बदतर होती गई। उसने इस पर केंद्र और नदी के प्रवाह के 2500 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले राज्यों से जवाब मांगा है।
सरकार के रुख पर सख्त नाराजगी जताते हुए एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा, 'क्या यह सही है कि सफाई अभियान के नाम पर गंगा को बद से बदतर बनाने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की जा चुकी है। हम यह जानना नहीं चाहते कि आपने इस धनराशि को राज्यों को आवंटित किया है और खुद ही खर्च किया है।'
बकौल जस्टिस कुमार, 'गंगा नदी के प्रवाह के 2500 किलोमीटर के दायरे में सरकार एक भी ऐसा स्थान बताए, जहां नदी की हालत सुधरी हो।' गंगा की साफ-सफाई और निर्बाध प्रवाह को लेकर सरकार से रुख से नाराज एनजीटी ने यहां तक कह डाला, 'असलियत में कुछ हुआ ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गंगा को प्रदूषित करने वाले कारखानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एनजीटी को अधिकृत किया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल के अनुसार गंगा की सफाई के नाम पर वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारियां थोपते रहे हैं और इस कारण जमीन पर कुछ भी ठोस नहीं हुआ है।'
गंगा की सेहत पर सुनवाई के दौरान जल संसाधन मंत्रालय के वकील ने बेंच को बताया कि 1985 से लेकर पिछले वर्ष तक गंगा की सफाई पर चार हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस पर जस्टिस कुमार ने कहा, 'फिर भी गंगा साफ नहीं हो सकी। गंगा की सफाई सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है, वह इससे बच नहीं सकती।'
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को खास तौर पर इंगित करते हुए एनजीटी ने कहा, 'हम हर राज्य सरकारों की जिम्मेदारियां निर्धारित करेंगे। गोमुख से कानपुर तक गंगा सफाई के पहले चरण के लिए सख्त निर्देश भी जल्द जारी करेंगे।' उसने सख्त लहजे में कहा कि गंगा किनारे बने जो होटल, आश्रम और धर्मशाला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाएंगे, उन्हें बंद कर देंगे। बहुत संभव है कि एनजीटी सोमवार को कानपुर की चमड़ा कारखानों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी करे।