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टेलीकॉम कंपनियों ने उठाया ऐप आधारित कॉल्स से नुकसान का मुद्दा

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई ने राष्ट्रीय टेलीकॉम नीति तैयार करने के सिलसिले में टेलीकॉम कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा का आयोजन किया था।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 09:43 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 09:43 PM (IST)
टेलीकॉम कंपनियों ने उठाया ऐप आधारित कॉल्स से नुकसान का मुद्दा
टेलीकॉम कंपनियों ने उठाया ऐप आधारित कॉल्स से नुकसान का मुद्दा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ट्राई के साथ चर्चा में दूरसंचार कंपनियों ने वाई-फाई पर चलने वाले वाट्सऐप जैसे ऐप के माध्यम से की जाने वाली कॉल्स से उद्योग को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया। कंपनियों का कहना था कि ऐप आधारित कॉल्स के कारण उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई ने राष्ट्रीय टेलीकॉम नीति तैयार करने के सिलसिले में टेलीकॉम कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा का आयोजन किया था। इसमें प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के अलावा दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

ट्राई के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने बताया कि चर्चा के दौरान टेलीकॉम कंपनियों की ओर से उद्योग को प्रभावित करने वाले 6-7 प्रमुख मुद्दे उठाए गए। इनमें ऐप आधारित कॉल्स के अलावा करों को युक्तिसंगत बनाने तथा इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार से जुड़ी अड़चनों को समाप्त किए जाने के मुद्दे शामिल हैं। एक देश, एक लाइसेंस और जीएसटी के तहत करों के युक्तिकरण के मुद्दे पर ट्राई और उद्योग के विचार लगभग एक जैसे हैं।

गौरतलब है कि वाट्सऐप, वाइबर व गूगल डुओ जैसे ऐप्स वाई-फाई के उपयोग के जरिए कॉल की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे इंटरनेशन कॉल भी डोमेस्टिक कॉल्स की तरह काफी सस्ती पड़ती हैं। कुछ समय पहले सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल ने भी अपना ऐप लांच करने की कोशिश की थी। लेकिन निजी टेलीकॉम कंपनियों के विरोध के कारण उसे अपना इरादा त्यागना पड़ा। इसके बाद ट्राई ने पिछले साल अक्टूबर में केवल टेलीकॉम कंपनियों को ऐसे ऐप की अनुमति देने, उनके लिए अलग मोबाइल नंबर सीरीज जारी करने तथा इन कॉल्स पर भी इंटरनेशनल लांग डिस्टैंस (आइएलडी) कॉल्स के नियम लागू करने का सुझाव दिया था।

मंगलवार को ट्राई के साथ चर्चा में टेलीकॉम आपरेटरों ने ऐसी स्पेक्ट्रम नीति बनाए जाने की जरूरत भी बताई जिसमें उद्योग को पहले से पता चल सके कि भविष्य में किस फ्रिक्वेंसी के बैंड की कब नीलामी होने वाली है। इस संबंध में टेलीकॉम कंपनियां अगले कुछ रोज में हमें अपने सारे सुझाव दे देंगी। इसके बाद ही ट्राई अपना रोडमैप तैयार कर सकेगा। टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के मुद्दे पर भी चर्चा कराए जाने की इच्छा प्रकट की है।

कॉल ड्रॉप के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि कॉल ड्रॉप पर विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों के प्रदर्शन की रिपोर्ट हम इस महीने के अंत तक प्रकाशित करेंगे। इसमें कॉल ड्रॉप पर प्रदर्शन का आकलन नए नियमों के आलोक में किया जाएगा।


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