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मिस्त्री ने किया अक्षम्य अपराध : टाटा

मिस्त्री की तरफ से टाटा समूह और इसके अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा पर लगाये गये गंभीर आरोपों पर पहली बार टाटा समूह की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 07:50 PM (IST)
मिस्त्री ने किया अक्षम्य अपराध : टाटा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। साइरस मिस्त्री के निष्कासन के बाद देश के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित टाटा समूह में चल रहा विवाद अब देश के सबसे बड़े कारपोरेट विवाद में तब्दील होने लगा है। मिस्त्री की तरफ से टाटा समूह और इसके अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा पर लगाये गये गंभीर आरोपों पर पहली बार टाटा समूह की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई है।

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यह सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि मिस्त्री के आरोपों से समूह को हो रही बदनामी से बचाने की कोशिश भी है। इस प्रतिक्रिया को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि देश का सबसे प्रतिष्ठित उद्योग समूह पिछले चार वर्षो से किस तरह से काम कर रहा था। मिस्त्री के आरोप और अब टाटा समूह की प्रतिक्रिया पूरे टाटा समूह की कारपोरेट संस्कृति को लेकर कुछ अनुत्तरित सवाल उठाते हैं।

आधारहीन आरोप, रिकार्ड के साथ देंगे जवाब

टाटा समूह ने मिस्त्री की तरफ से विवाद को सार्वजनिक किये जाने को अक्षम्य अपराध करार दिया है। हालांकि समूह की तरफ से जारी विज्ञप्ति में मिस्त्री की तरफ से उठाये गये संवेदनशील आरोपों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया है। टाटा समूह ने कहा है कि ये आरोप पूरी तरह से आधारहीन हैं और वे उचित मंच पर इसका जवाब देंगे। टाटा समूह ने कहा है कि 'इन आधारहीन आरोपों का जवाब देना टाटा समूह के सम्मान के खिलाफ है। हम इन आरोपों का रिकार्ड समेत जवाब देंगे।' सनद रहे कि मिस्त्री ने टाटा समूह को बुधवार को भेजे गये ई-मेल में कई गंभीर आरोप लगाये थे मसलन, उन्हें काम करने की आजादी नहीं थी। उन्हें विरासत में कई तरह की समस्याएं मिली थी। साथ ही मिस्त्री ने रतन टाटा की ईमानदारी व कार्यक्षमता को लेकर भी कुछ सवाल उठाये थे।

खो चुके थे निदेशक बोर्ड का भरोसा

टाटा समूह ने कहा है कि साइरस मिस्त्री निदेशक बोर्ड का भरोसा खो चुके थे। मिस्त्री चेयरमैन बनने से पहले एक दशक तक समूह के विभिन्न पदों पर काम कर चुके थे और उन्हें कंपनी की संस्कृति व तौर तरीके के बारे में अच्छी तरह से पता था। समूह के बोर्ड में कई क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों को जगह दिया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मिस्त्री ने इस बोर्ड का भरोसा कई वजहों से खो दिया। बोर्ड के सदस्यों ने समय समय पर कारोबार से जुड़े मुद्दों को उठाया लेकिन उनका समाधान नहीं हो सका।

बोर्ड के सदस्यों का भरोसा चेयरमैन पर कम होता गया। ऐसी परिस्थिति में बोर्ड के सदस्यों ने सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद संयुक्त तरीके से मिस्त्री को हटाने का फैसला किया। इसके साथ ही समूह ने मिस्त्री को यह भी संदेश दिया है कि टाटा समूह सिर्फ निदेशक बोर्ड की भावनाओं से ही नहीं चलती है बल्कि इसमें काम करने वाले छह लाख कर्मचारियों का सहयोग और उत्साह भी इसके लिए अहम है। मिस्त्री ने इन कर्मचारियों की नजरों में समूह की इज्जत को तार तार करने का अक्षम्य अपराध किया है।

अंत में टाटा समूह ने यह कहा है कि अपने बचाव में दूसरों पर आरोप लगाना बहुत आसान है। लेकिन समूह सार्वजनिक तौर पर वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहती। समूह अपनी समस्याओं व चुनौतियों को दूर करने की कोशिश करती रहेगी ताकि एक बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके।

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