वार्ता के साथ पाक को करारा जवाब भी
सत्ता में आने के लगभग सवा साल बाद मोदी सरकार की पाक नीति अब एक स्पष्ट आकार लेने लगी है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि यह नीति पूर्व की सरकारों से काफी अलग होगी लेकिन इतना तय है कि केंद्र सरकार पाक के साथ बातचीत का सिलसिला लगातार
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सत्ता में आने के लगभग सवा साल बाद मोदी सरकार की पाक नीति अब एक स्पष्ट आकार लेने लगी है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि यह नीति पूर्व की सरकारों से काफी अलग होगी लेकिन इतना तय है कि केंद्र सरकार पाक के साथ बातचीत का सिलसिला लगातार जारी रखने जा रही है। राजग सरकार की पाक नीति दो बिंदुओं पर आधारित होगी। इसके तहत सीमा पर पाकिस्तान की किसी भी कार्रवाई का करारा जबाव दिया जाएगा, लेकिन साथ ही द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए बातचीत का सिलसिला भी जारी रखा जाएगा।
यही वजह है कि गुरदासपुर हमले और पाक की तरफ से संघर्षविराम का उल्लंघन होने के बावजूद केंद्र सरकार उफा की घोषणा के मुताबिक एनएसए बातचीत की तैयारियों में जुटी है। उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ की मुलाकात में अगस्त, 2015 में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बातचीत की सहमति बनी थी। विदेश मंत्रालय की तरफ से मानसून सत्र की समाप्ति के तुरंत बाद इस बातचीत का प्रस्ताव किया गया है। बातचीत 23 से 25 अगस्त के बीच हो सकती है।
अंतिम फैसला प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री व एनएसए के बीच बैठक के बाद होगी। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच नई दिल्ली में 9-13 सितंबर के दौरान बैठक की तिथि पहले ही तय है। ये दोनों बैठकें आने वाले दिनों में भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्तों की दशा व दिशा तय करने में काफी अहम भूमिका निभाएंगे।
जानकारों के मुताबिक, उफा बैठक से पहले भारत सरकार की तरफ से पाक पीएम के साथ बातचीत का प्रस्ताव गया था। यह इस बात का संकेत था कि मोदी सरकार अब पाक को लेकर आगे बढ़ कर फैसला लेना चाहती है। यही वजह है कि गुरदासपुर हमले के बाद भी सरकार की तरफ से पाक पर सीधा आरोप अभी तक नहीं लगाया गया है। संसद में अपने बयान में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इतना कहा है कि 'जीपीएस डाटा के प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैैं कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान से घुसपैठ की है।
भारत की एकता और अखंडता के कमजोर करने के दुश्मनों के किसी भी प्रयास का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। लेकिन उन्होंने भी पाकिस्तान पर हमलावरों को पनाह देने का आरोप नहीं लगाया। उफा के बाद जब पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज ने भारत के खिलाफ काफी बयानबाजी की तब भी भारत ने यही कहा कि वह उफा घोषणा पत्र को तवज्जो देगा। दरअसल, सरकार को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि पूर्व की तरह इस बार भी पाकिस्तानी सेना भारत के साथ किसी भी शांतिपूर्ण वार्ता के खिलाफ है। उफा के बाद गुरदासपुर हमला और सीमा पार से लगातार फायङ्क्षरग की घटनाएं इसका उदाहरण हैं। वह बातचीत को स्थगित कर उन ताकतों के हाथ नहीं खेलना चाहती।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक एनएसए स्तर व सैन्य बलों के स्तर पर बातचीत के अलावा सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र की बैठक के दौरान मोदी व शरीफ के बीच बातचीत संभव है। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच पाकिस्तान में होने वाली सार्क देशों की बैठक में भी मुलाकात होगी। यह बैठक अगले वर्ष के शुरुआत में संभव है। इस तरह से बातचीत का सिलसिला लगातार जारी रह सकता है।
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