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घाटी में तालिबानी ढंग से स्कूलों को ध्वस्त कर रहे हैं अलगावादी और आतंकी

कश्मीर घाटी में आतंकी और अलगाववादी संगठन अब स्कूलों को तालिबानी शैली में ध्वस्त कर रहे हैं।

By kishor joshiEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 09:46 AM (IST)
घाटी में तालिबानी ढंग से स्कूलों को ध्वस्त कर रहे हैं अलगावादी और आतंकी

श्रीनगर। कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन और अलगावादी घाटी में लगातार स्कूलों को उसी प्रकार निशाना बनाने में लगे हुए हैं जिस तरह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तालिबान ने स्कूलों को निशाना बनाया था।इस तरह के हमले कर वह स्कूलों को लगातार बंद रखना चाहते हैं।

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एक अंग्रेजी अखबार ने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से जानकारी देते हुए बताया है कि पिछले तीन महीनों के दौरान आंतकियों और अलगाववादियों ने घाटी में 17 सरकारी स्कूलों और तीन निजी स्कूलों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है।

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8 जुलाई को हिजबुल कंमाडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से ही घाटी में स्कूल- कालेज बंद हैं। अधिकारियों का कहना हैकि इस कारण पूरे कश्मीर में लगभग 20 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। हालांकि अलगाववादियों का प्रभाव केवल कश्मीर तक ही सीमीत है। सीमावर्ती क्षेत्रों, जैसे- गुरेज, तंगधार और कश्मीर में उड़ी, तथा जम्मू एवं लद्दाख क्षेत्रों में बच्चे बिना व्यवधान के ही स्कूल जा रहे हैं।

पाकिस्तान प्रायोजित पत्थरबाजों की ब्रिगेड ने मंगलवार को दो और स्कूलों को आग के हवाले कर दिया, जिनमें एक श्रीनगर शहर के नूरबाग और दूसरा अनंतनाग जिले के ऐशमुकाम में स्थित है। अलगाववादियों और आतंकी समूहों द्वारा दी गयी धमकी के बाद स्कूल-कॉलेज लगातार बंद चल रहे हैं। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने तो बकायदा जम्मू-कश्मीर के शिक्षा मंत्री को धमकी देते हुए कहा था की वह स्कूल खोलने की कोशिश ना करें। 27 सितंबर को अख्तर को यह धमकी तब दी गयी थी जब वह स्कूल-कॉलेजों को खुलवाने का प्रयास कर रहे थे।

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लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने अपने मुखिया महमूद शाह का हवाला देते हुए कहा था, "कश्मीरी इतने पढ़े- लिखें हैं कि वो यह फैसला खुद कर सकते हैं कि उनके लिए क्या बुरा है और क्या अच्छा। यदि नईम अख्तर नहीं माने तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।" इसके बाद नईम अख्तर ने पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी को एक खत के जरिए स्कूल-कॉलेजों को चलने देने का आग्रह किया था, लेकिन इसका उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

घाटी में लगातार बंद से अजिज आ चुके सैकडों अभिभावक अब अपने बच्चों को जम्मू और दिल्ली भेज रहे हैं तांकि वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।

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