दुष्कर्म पीड़िताओं से जन्मे बच्चों को ध्यान रखा जाए, वे भी पीड़ित हैंः कोर्ट
पीठ ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव को बताने को कहा था कि दुष्कर्म पीड़िताओं के बच्चों के कल्याण के लिए कोई नीति है या नहीं।
मुंबई, एजेंसी। बांबे हाई कोर्ट ने गुरवार को कहा कि दुष्कर्म पीड़िताओं को केवल मुआवजा देना पर्याप्त नहीं है और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनसे जन्मे बच्चों के कल्याण के लिए नीति बनाने के प्रयास किये जाने चाहिए क्योंकि ये बच्चे भी पीड़ित हैं।
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभु देसाई की खंडपीठ ने कहा, दुष्कर्म पीड़िताओं के बच्चों से भी पीड़ितों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए देखभाल होनी चाहिए कि उनका अच्छे से ख्याल रखा जाए और उन्हें अच्छी शिक्षा तथा बेहतर सुविधाएं मिलें। पीठ ने गुरवार को महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के प्रधान सचिव को बुलाकर यह बताने को कहा था कि दुष्कर्म पीड़िताओं के बच्चों के कल्याण के लिए कोई नीति है या नहीं।
हालांकि अधिकारी नहीं आए क्योंकि वह किसी अन्य काम में पहले से व्यस्त थे। इसके बाद अदालत ने उनसे अगली तारीख पर आने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वह चैंबर में उनकी बात सुनने के लिये तैयार है। हाई कोर्ट ने सरकार को एक तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया जिससे यह सुनिश्चित हो कि दुष्कर्म पीड़िताओं के बारे में जानकारी उसके पास जल्दी पहुंचें ताकि वह मुआवजा देने का काम कर सके।
यह भी पढ़ेंः सुप्रीमकोर्ट ने रद की बच्चा राय की जमानत, जेल में रहना होगा
यह भी पढ़ेंः दूसरी शादी को देखते हुए घटा पहली बीवी का गुजाराभत्ता