शहंशाह शाहजहां के उर्स में ताज ने ओढ़ी सतरंगी चादर
शहंशाह शाहजहां के उर्स में सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक 870 मीटर लंबी सतरंगी चादर चढ़ाई गई। दिन भर उर्स में जियारत के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी।
जागरण संवाददाता, आगरा। अपने धवल सौंदर्य के लिए दुनिया में विख्यात मोहब्बत का प्रतीक ताज गुरुवार को सतरंगी हो गया। शहंशाह शाहजहां के उर्स में सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक 870 मीटर लंबी सतरंगी चादर चढ़ाई गई। दिन भर उर्स में जियारत के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी।
मुगल शहंशाह शाहजहां का 361वां उर्स मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ हुआ था। इसके साथ ही तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें सैलानियों के लिए खोल दी गई थीं। बुधवार को संदल चढ़ाया गया। गुरुवार सुबह ताज में कुलशरीफ हुआ, जिसके बाद कुरानख्वानी और फिर फातिहा पढ़ाया गया। गुलपोशी के बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया। आकर्षण का मुख्य केंद्र खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी द्वारा चढ़ाई गई 870 मीटर लंबी चादर रही। दक्षिणी गेट स्थित हनुमान मंदिर से यह चादर दोपहर करीब 2:45 बजे ताज के लिए रवाना हुई।
स्मारक में प्रवेश करने के बाद यह फोरकोर्ट, मुख्य द्वार होते हुए यह मकबरे तक गई। चादर का एक सिरा दक्षिणी गेट से बाहर था, तो दूसरा ताज में मुख्य मकबरे तक पहुंच गया था। देसी-विदेशी सैलानी इसे अचरज से देखते रहे। उन्होंने इसकी यादें संजोने को फोटो भी खिंचाई। उर्स में चादरपोशी कर अकीदतमंदों ने देश में अमन-चैन की दुआ की।
दिन भर गूंजी कव्वाली
उर्स के तीसरे दिन ताजमहल में दिन भर कव्वालियां गूंजती रहीं। मुख्य मकबरे के द्वार के पास बैठे कव्वालों ने कलाम पेश किए। ताज के बाहर पश्चिमी गेट स्थित फतेहपुरी मस्जिद पर लंगर वितरित करने के साथ शर्बत वितरित किया गया।
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