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जो सफाईकर्मी काम नहीं कर रहे, नौकरी से निकालो

सफाईकर्मियों को नगर निगम ने शहर की गंदगी हटाकर सफाई के लिए रखा है। उन्हें जनता द्वारा कर के रूप में दिए गए पैसे से वेतन दिया जाता है। अगर, सफाईकर्मी काम नहीं कर रहे हैं तो उन सभी को नौकरी से हटा दो और उनकी जगह नए सफाई कर्मचारी

By anand rajEdited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 08:33 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 08:54 AM (IST)
जो सफाईकर्मी काम नहीं कर रहे, नौकरी से निकालो

नई दिल्ली (पवन कुमार)। सफाईकर्मियों को नगर निगम ने शहर की गंदगी हटाकर सफाई के लिए रखा है। उन्हें जनता द्वारा कर के रूप में दिए गए पैसे से वेतन दिया जाता है। अगर, सफाईकर्मी काम नहीं कर रहे हैं तो उन सभी को नौकरी से हटा दो और उनकी जगह नए सफाई कर्मचारी रखे जाएं। आम जनता का पैसा कामचोर कर्मचारियों पर क्यों बर्बाद किया जाए।

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यह तल्ख टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में सफाई व्यवस्था व सफाईकर्मियों द्वारा कार्य में कोताही बरतने के मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने नगर निगम को मामले में कड़ी फटकार भी लगाई है। खंडपीठ ने दिल्ली की तीनों नगर निगम के स्वच्छता विभाग के निदेशकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

वहीं अदालत ने मामले में नगर निगम को निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दायर कर यह बताए कि राजधानी में जितने भी सफाई कर्मचारी हैं, उनका कार्यक्षेत्र कितना है और प्रत्येक कर्मचारी के हिस्से में सफाई के लिए कितना क्षेत्र आता है। अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता बीबी शरण को भी अपना हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। अब इस मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।

दिल्ली नगर निगम ने बुधवार को एक हलफनामा दायर कर हाई कोर्ट को बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली में कुल 62,977 सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं। जिनमें से 24,860 कर्मचारी उत्तरी दिल्ली नगर निगम में, 22,623 कर्मचारी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में और 15,494 कर्मचारी पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत हैं।

नगर निगम के इस जवाब पर मामले की याचिकाकर्ता संस्था न्यायभूमि के सदस्य बीबी शरण ने हाई कोर्ट को बताया कि भले ही नगर निगम 62 हजार से अधिक सफाई कर्मचारी होने की बात कहे, मगर हकीकत ये है कि एक भी सफाई कर्मचारी दिल्ली की सड़कों, बाजारों, पार्को एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दिखाई देता। शौचालय गंदे पड़े रहते हैं और सड़कों पर कूड़ा व गंदगी के ढेर हैं।

याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में नगर निगम से पूछा कि क्या सभी सफाईकर्मी प्रतिदिन काम पर आते हैं। इस पर निगम ने कहा कि सभी सफाई कर्मचारी प्रतिदिन बायोमीटिक मशीन में अपनी उपस्थिति सुबह और शाम के समय दर्ज करते हैं। उनके कार्य की निगरानी के लिए निगम में बतौर सुपरवाइजर रहते हैं।

खंडपीठ ने मामले में नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर ऐसा होता है तो फिर दिल्ली की सड़कों पर कूड़ा व गंदगी क्यों है? दिल्ली की स्थिति देखकर यह कहा जा सकता है कि सफाई कर्मचारी अपना काम नहीं कर रहे हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को भी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों का तो न होना ही बेहतर है। नगर निगम ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती? नगर निगम ने हाईकोर्ट को बताया कि नगर निगम मजिस्ट्रेट द्वारा मामले में प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई की जाती है। खंडपीठ ने मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप क्यों नहीं कार्रवाई करते? अगर शिकायत नहीं मिलती तो क्या कार्रवाई नहीं होगी? अदालत को बताया जाए कि प्रत्येक सफाई कर्मचारी के पास सफाई के लिए कितना क्षेत्र होता है ?

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