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विज्ञान में भी तेजी से बढ़ रहा स्वदेशी मंत्र

अब भारतीय वैज्ञानिकों ने डेंगू और मलेरिया का टीका तैयार करने में बहुत उल्लेखनीय प्रगति कर ली है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 10:16 PM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 10:16 PM (IST)
विज्ञान में भी तेजी से बढ़ रहा स्वदेशी मंत्र
विज्ञान में भी तेजी से बढ़ रहा स्वदेशी मंत्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इलाज की स्वदेशी तकनीक विकसित करने पर सरकार का जोर लगातार असर दिखा रहा है। डायबिटीज और खून के थक्के जमने से रोकने वाली दवाओं सहित भारत में विकसित ये दवा और टीके स्वास्थ्य खर्च भी कम करने में कामयाब हो रहे हैं। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने डेंगू और मलेरिया का टीका तैयार करने में बहुत उल्लेखनीय प्रगति कर ली है।

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वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के महानिदेशक गिरीश साहनी ने बताया कि ये दवाएं आम लोगों के इलाज का खर्च घटाने में काफी कामयाब हो रही हैं। हाल में उनकी दो प्रयोगशालाओं की ओर से विकसित की गई मधुमेह की पहली नई आयुर्वेदिक दवा बीजीआर- 34 को बाजार में बहुत कम कीमत पर उतारा गया है। जहां डायबिटीज की दवाएं बेहद महंगी हैं, यह महज पांच रुपये में लोगों को उपलब्ध हो रही है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद उतारी गई यह दवा मधुमेह के टाइप-2 मरीजों में सहायक उपचार के तौर पर प्रभावी हो रही है।

इसी तरह उन्होंने खून के थक्के जमा होने से रोकने वाली दवा स्टैप्टोकिनेस को भी बेहद उल्लेखनीय बताया। इस दवा की मदद से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी है। उन्होंने दुनिया की पहली बिना स्टीरोइड की गर्भरोधी गोली तैयार करने के लिए भी भारतीय वैज्ञानिकों की सराहना की। यह गोली पुरानी दवाओं के मुकाबले महज दस फीसदी कीमत में ही उपलब्ध हो जाती है। भारत में पिछले दिनों विकसित किए गए रोटा वायरस के टीके ने कीमत को कई गुना घटा दिया। इसी वजह से सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में रोटा वायरस टीका शामिल करना संभव हो सका है। यहीं विकसित एक दिन में डेंगू का पता करने वाली जांच किट भी काफी प्रभावी है। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने डेंगू और मलेरिया का टीका तैयार करने के लिहाज से भी बहुत उल्लेखनीय प्रगति कर ली है।

उन्होंने कहा कि इन तकनीक को खोज कर सीएसआइआर को बहुत अधिक राजस्व तो नहीं मिला। लेकिन इससे लोगों को बहुत लाभ मिला है। सीएसआइआर की सिर्फ छह तकनीक से ही लोगों को 32 हजार करोड़ रुपये से अधिक का फायदा हुआ है। मधुमेह की ताजा दवा बीजीआर-34 की बिक्री से सीएसआइआर को तीन फीसदी रायल्टी मिल रही है। लेकिन यह दवा काफी प्रभावी होने की वजह से बाजार में बहुत लोकप्रिय हुई है। सीएसआरआर इस साल अपनी स्थापना के 75वें वर्ष के मौके पर प्लेटिनम जुबली मना रही है।


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