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देश से बाहर चला गया 6,000 करोड़ का काला धन, सीबीआई और ईडी ने की कार्रवाई

काले धन से जुड़ा एक सनसनीखेज खुलासा किया गया है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, 59 कंपनियों की मिलीभगत से 6,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया और पैसे को दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक के जरिए बाहर भेजा गया। पैसे को देश से बाहर भेजने के लिए

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 05:25 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 04:52 PM (IST)
देश से बाहर चला गया 6,000 करोड़ का काला धन, सीबीआई और ईडी ने की कार्रवाई


नई दिल्ली। काले धन से जुड़ा एक सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, 59 कंपनियों की मिलीभगत से 6,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। इस रकम को दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक के जरिए बाहर भेजा गया। पैसे को देश से बाहर भेजने के लिए इन कंपनियों ने काजू, चावल और खाने-पीने एवं श्रृंगार की चीजों के आयात का सहारा लिया। इस मामले के मीडिया में आने के बाद सीबीआई और ईडी ने साझा कार्रवाई करते हुए घोटाले में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा और संबधित कंपनियों में छापेमारी की।

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काला धन देश से बाहर भेजने के लिए 59 कंपनियों ने हांगकांग से दाल, चावल खरीदने के नाम पर वहां करीब 6,000 करोड़ रुपये जमा किया। गौरतलब है कि हांगकांग में कोई पैदावार नहीं होती और खाने-पीने के सामान हांगकांग खुद चीन से मंगाता है। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जिस देश में कोई पैदावार नहीं होती वहां से कभी मसाले, कभी चावल, कभी ड्राई फ्रूट्स और कभी जनरल कॉस्मेटिक की खरीदारी किस प्रकार की गई।

कैसे हुआ घोटाला

घोटाले की शुरुआत जुलाई 2014 से बैंक आफ बडौदा की अशोक विहार की शाखा से हुई। यहां 59 बैंक खाते आनन-फानन में खोले गए। बैंक ऑफ बडौदा की इस ब्रांच से विदेश में भी पैसे भेजने का काम किया जाता है और दुनिया के 25 देशों में इसकी शाखाएं हैं। इसीलिए 59 कंपनियों ने एक-एक करके अशोक विहार के बैंक ऑफ बड़ौदा में 59 करंट अकाउंट यानि चालू खाते खुलवाए थे। बैंक के दस्तावेजों के मुताबिक बैंक में खाते खुलने के फौरन बाद ही यानि पहले ही दिन से इन खातों में करोड़ों की नगदी जमा कराई जाने लगी।

जबकि बैंक नियमों के मुताबिक एक निश्चित धनराशि जमा होने के बाद बैंक को अपने मुख्यालय और अन्य सरकारी विभागों में लिखित में जानकारी देनी होती है कि कौन सी कंपनी या फिर कौन वो शख्स है जो एक निश्चित सीमा के बाहर बैंक में नकद पैसे जमा करा रहा है। जाहिर तौर में इस घोटाले में बैंक के अधिकारियों की भी मिलीभगत थी।

दस्तावेजों के मुताबिक59 खातों में से एक खाते में खाता खुलने के दो महीने से भी कम समय में लगभग सात करोड़ रूपये नगद जमा कराए गए। वहीं, दूसरे खाते में 23 दिनों के भीतर साढे तीन करोड़ रुपये नगद जमा कराए गए। इस खातों में करोड़ों की नकद रकम जमा कराई जाती थी और फिर उस रकम को विदेशों से सामान मंगाने के लिए अडवांस के तौर पर भेजने को कहा जाता था जबकि बैंक के पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि जिस सामान के लिए पैसा भेजा गया वह सामान आया भी या नहीं। हैरान करने वाली बात ये है कि 59 खातों से डॉलर के जरिए भेजी जा रही ये रकम हांगकांग की कुछ गिनी-चुनी कंपनियों के पास ही जा रही थी।

सरकारी नियमों के मुताबिक यदि बैंक डॉलर की बड़ी रकम के तौर पर विदेशों में पेमेन्ट कर रहा होता है तो वह पैसा भेजने वाली पार्टी से कहता है कि जिस कंपनी को पैसा भेजा जाना है उसके बारे में पूरी जानकारी बैंक को मुहैया कराए और बड़ी रकम होने की स्थिति में वह पैसा लेने वाली पार्टी से एलसी यानी लैटर आफ क्रेडिट की भी मांग करता है जिसके तहत पैसा लेने वाली पार्टी अपने यहां के बैक की गांरटी भी मुहैया कराए, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं किया गया।

बैक की आतंरिक रिपोर्ट बताती है कि बैंक अधिकारियो ने इन कंपनियों के साथ मिलकर न तो प्रोफार्मा इनवाइस लिया और ना ही अग्रीमेंट आफ सेल परचेज वाले कागज लिए। यहां तक कि एक रकम भेजने के बाद दूसरी बार रकम भेजने के पहले मंगाए गए सामान के भारत आने के बारे में भी बैंक ने कोई दस्तावेज नहीं लिया यानी जो नियम कानून थे वे सब ताक पर रख दिए गए और कंपनियों के कहने पर पैसा सीधे हांगकांग भेजा जाने लगा।

दस्तावेज बताते है कि ये पैसा इन कंपनियों से हांगकांग के बैंक ने भी ये जानते हुए भी स्वीकार किए कि ज्यादातर कंपनियां एक ही कंपनी को बड़ी तादाद में रकम भेज रही है। बैंक ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और धीरे-धीरे 6,000 करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि देश के बाहर हांगकांग भेज दी गई और किसी को इसके बारे में भनक तक नहीं लगी। जाहिर तौर पर इस घोटाले में शक के दायरे में हांगकांग के बैंक भी शामिल हैं।

नियम के मुताबिक अगर एक लाख डॉलर से ज्यादा रकम एक साथ भेजी जाती तो इसका पता चल जाता। लेकिन, एक ही दिन में रकम तोड़कर कई बार में भेजी जाती थी ताकि किसी को शक ना हो। इतना ही नहीं काला धन देश से बाहर भेजने के लिए बैंक ने हर तरह की मदद की।

बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपना पक्ष पेश करते हुए कहा कि मामले की जांच चल रही है। बैंक को इस मामले में कोई घाटा नहीं हुआ। हालांकि, प्रकिया पूरी करने में कुछ कमी रही। अब खुफिया एजेंसियों को ये आशंका है कि ये पूरा का पूरा धन काले पैसे की कमाई हो सकता है और जिस तरह से इस पूरे आपरेशन को अंजाम दिया गया उसमें कई बड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं।

सीबीआई और ईडी ने की कार्रवाई

शनिवार को सीबीआई और ईडी की साझा कार्रवाई में बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा 6000 करोड़ का काला धन हांगकांग में ट्रांसफर किए जाने का खुलासा हुआ। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 59 खाते खोलकर उन खातों के जरिए 6000 करोड़ रुपये हांगकांग में ट्रांसफर किए । इन खातों में अधिकांश रुपये को नकद में जमा कराया गया था। मीडिया में आ रही खबरों के बाद सीबीआई और ईडी हरकत में आए और दोनों ने बैंक ऑफ बड़ौदा और संबधित कंपनियों में छापेमारी कर इस काले धन का पर्दाफाश किया।

सरकार करेगी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई

अब सरकार ने नियम तोड़ने वाली कंपनियों पर कार्रवाई का एलान किया है, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि दोषी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।

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