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भारत का अमेरिका को दो टूक जवाब, दोस्ती में जासूसी बर्दाश्त नहीं

भारत की यात्रा पर आए अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत रक्षा मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। इस मुलाकात में सुषमा स्वराज भाजपा की जासूसी का मुद्दा उठाया और इस पर कड़ी नाराजगी भी जताई। भारत में नरेंद्र मोदी सरकार को लुभाने आए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी को रणनीतिक वार्ता की मेज पर बेहद कड़े शब्दों में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से विवादास्पद जासूसी कार्यक्रम पर शिकायत सुननी पड़ी।

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 07:29 AM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 12:45 PM (IST)
भारत का अमेरिका को दो टूक जवाब, दोस्ती में जासूसी बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली। भारत की यात्रा पर आए अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत रक्षा मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की। इस मुलाकात में सुषमा स्वराज भाजपा की जासूसी का मुद्दा उठाया और इस पर कड़ी नाराजगी भी जताई। भारत में नरेंद्र मोदी सरकार को लुभाने आए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी को रणनीतिक वार्ता की मेज पर बेहद कड़े शब्दों में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से विवादास्पद जासूसी कार्यक्रम पर शिकायत सुननी पड़ी। स्वराज ने अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम को लेकर भारत में मौजूद चिंताओं को उठाया। उन्होंने कहा कि 'भारत और अमेरिका दोस्त हैं और दोस्त एक दूसरे की जासूसी करें यह कतई स्वीकार्य नहीं है।'

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जवाब में केरी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से अमेरिकी खुफिया सेवाओं के तौर तरीकों की समीक्षा का हवाला देते हुए सफाई दी। उन्होंने एक निजी चैनल पर बात करते हुए यह भी कहा कि खुफिया मामलों में अमेरिका सार्वजनिक मंच पर बात नहीं करता है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि इस संबंध में मौजूदा राष्ट्रपति ने कई तरह के सुधार किए हैं और वह मौजूदा परिस्थितियों में भारत से मजबूत और दोस्ताना संबंध बनाने का इच्छुक है।

जासूसी मामले के अलावा भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच रणनीतिक वार्ता की मेज पर सुरक्षा, ऊर्जा, मानव संसाधन, कारोबार के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी बात हुई। करीब साढ़े चार घंटे चली बातचीत के बाद केरी और स्वराज ने संतोष भी जताया। बैठक के बाद स्वराज ने बताया, 'केरी को बताया दिया गया है कि जब अमेरिका द्वारा भारतीयों की जासूसी कराने की खबरें सामने आई, तो लोगों में काफी गुस्सा था।

लोगों के इसी रोष के बारे मैं आपको अवगत कराना चाहती हूं।' साझा प्रेसवार्ता में स्वराज ने बताया, 'केरी ने भारत और अमेरिका के बीच सहयोग व सूचनाओं की साझेदारी का हवाला देते हुए बताया है कि इस मुद्दे पर उठी चिंताओं के बीच राष्ट्रपति ओबामा ने अमेरिकी खुफिया सूचना तंत्र की व्यापक और अभूतपूर्व समीक्षा शुरू कर दी है। अमेरिका भारत की चिंताओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ेगा।'

गौरतलब है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने खुलासा किया था कि अमेरिका जांच एजेंसी को भारतीय नेताओं (खासकर भाजपा) की जासूसी की मंजूरी दी गई थी। इन खबरों को लेकर भारत में बवाल खड़ा हो गया था। वैसे बातचीत के बाद जारी साझा बयान में दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया।

जासूसी विवाद से परे दोनों खेमों ने बातचीत को नई संभावनाओं का रास्ता तलाशने की कवायद बताया। स्वराज और केरी ने सितंबर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच होने वाली मुलाकात से पहले होमवर्क पर जोर दिया। दरअसल, अमेरिका नरेंद्र मोदी के विजन की तारीफों के पुल बांध भारत में आर्थिक सुधारों के बीच बड़े बाजार में पैठ का मौका नहीं चूकना चाहता।

लिहाजा, वाशिंगटन में मोदी की सोच को सराहने के बाद केरी के यही सुर भारत में भी जारी रहे। केरी ने मोदी के विकास के नजरिये की तारीफ के साथ भारत में बहुमत से आई भाजपा सरकार को बदलाव का नया मोड़ बताया। अपने विजन में गैर-पारंपरिक ऊर्जा साधनों के इस्तेमाल की अहमियत जता चुके मोदी के साथ मुलाकात से पहले केरी ने केसरिया क्रांति को दोनों मुल्कों के बीच बड़ी संभावनाओं का दरवाजा करार दिया है।

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