पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक नहीं है शिमला समझौते का उल्लंघन
सेना की तरफ से गुलाम कश्मीर में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक ना ही शिमला समझौते और ना ही किसी अन्य नियम का उल्लंघन है।
जेएनएन, नई दिल्ली: गुलाम कश्मीर में सेना का सर्जिकल स्ट्राइक कहीं से भी न तो शिमला समझौते और न ही संयुक्त राष्ट्र संघ के युद्धविराम या किसी तरह के नियम का उल्लंघन हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1373 (2001) की उपधारा 2 (बी) में सभी सरकारों से 'आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने' को कहा गया है। यह सभी देशों के लिए बाध्यकारी है। यही बात किसी आतंकी कार्रवाई को रोकने के खयाल से भारत को सर्जिकल स्ट्राइक करने का अधिकार देता है। चूंकि नियंत्रण रेखा के पार ये आतंकी कैंप भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे थे, इसलिए भारत को इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार है।
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इसी तरह, ठीक है कि 1972 के शिमला समझौते में भारत और पाकिस्तान- दोनों को नियंत्रण रेखा के पार जाकर सैन्य हमले की इजाजत नहीं है। लेकिन समझौते के अनुच्छेद 1 (बी) में यह भी साफ-साफ कहा गया है कि दोनों देश एक-दूसरे के बीच शांतिपूर्ण और सद्भावनापूर्ण रिश्ते को क्षति पहुंचाने का कोई काम नहीं करेंगे और क्षति पहुंचाने की कोशिश करने वालों पर अपनी-अपनी सीमा के अंदर अंकुश लगाएंगे।
भारत ने पाकिस्तान को अपनी सीमा से आने वाले आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए बार-बार कहा है। लेकिन पाकिस्तान ने भारत के अनुरोध पर कभी ध्यान नहीं दिया है। इस कारण ही इस अनुच्छेद 1 (बी) के अनुरूप भारत को इस तरह का सर्जिकल स्ट्राइक करने का अधिकार मिल जाता है।