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सुप्रीम कोर्ट डाक्टरों की हड़ताल के मसले पर करेगा विचार

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेडिको लीगल एक्शन ग्रुप की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, प्रदेश के स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा विभाग विभाग, यूपी के चिकित्सा और स्वास्थ्य निदेशक व केजीएमसी को नोटिस जारी किया।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 10:29 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट डाक्टरों की हड़ताल के मसले पर करेगा विचार

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट इसी वर्ष मई में लखनऊ के केजीएमसी में जूनियर रेजीडेंट डाक्टरों की हुई हड़ताल के मुद्दे पर विचार करेगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल डाक्टरों की याचिका पर विचार का मन बनाते हुए नोटिस जारी किया। हालांकि कोर्ट ने हड़ताल के मामले में चल रही जांच में कोई भी दखल नहीं दिया है जांच फिलहाल जारी रहेगी।

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सोमवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेडिको लीगल एक्शन ग्रुप की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, प्रदेश के स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा विभाग विभाग, यूपी के चिकित्सा और स्वास्थ्य निदेशक व केजीएमसी को नोटिस जारी किया।

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याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के गत 2 जून के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसमें हाईकोर्ट ने गत 30 और 31 मई की केजीएमसी के जूनियर रेजीडेंट डाक्टरों की हड़ताल को गैर कानूनी घोषित कर दिया था। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने हड़ताल के कारण हुई मौत पर परिजनों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मुआवजे की यह राशि हड़ताल करने वाले डाक्टरों के वेतन या मानदेय आदि से वसूला जाएगा।

सोमवार को डाक्टरों की याचिका पर बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हाईकोर्ट ने डाक्टरों को पक्षकार बनाए बगैर एक तरफा आदेश जारी कर दिये हैं। हाईकोर्ट के आदेश के दूरगामी परिणाम हैं इसलिए सुप्रीमकोर्ट उस पर विचार करे। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के तय सिद्धांतों के खिलाफ आदेश दे दिया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि डाक्टरों को हड़ताल का अधिकार नहीं है। उन्हें हर हाल में काम करना चाहिए। इसके अलावा हाईकोर्ट ने हड़ताल की वजह से मरने वालों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया और यह रकम डाक्टरों से वसूलने का आदेश दिया है। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया लेकिन कहा कि चल रही जांच जारी रहेगी।

बात ये है कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर मेडिकल के पीजी पाठ्यक्रम के प्रवेश की सूची रद कर केजीएमसी ने नये सिरे प्रवेश सूची बनाई थी जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में काम करने वालों को अतिरिक्त अंक दिये गये। इसके विरोध में केजीएमसी के रेजीडेंट जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल की थी। अखबार में खबर छपी की हड़ताल के कारण लोगों की मौत हुई है। इस पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हुई जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश जारी किया था।

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