हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर जरूरी हैं कि नहीं विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कार्यालय आने वाली हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर जरूरी हैं कि नहीं इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को हलफनामा दाखिल कर इस बारे में तय प्रक्रिया पेश करने का निर्देश दिया है। मंगलवार को यह आदेश जस्टिस दीपक मिश्रा
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कार्यालय आने वाली हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर जरूरी हैं कि नहीं इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को हलफनामा दाखिल कर इस बारे में तय प्रक्रिया पेश करने का निर्देश दिया है।
मंगलवार को यह आदेश जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने मामले पर विचार का मन बनाते हुए दिया। नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय जाने वाली हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होने जरूरी हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। ज्यादातर फाइलों में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव या सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
हाई कोर्ट ने यह मसला बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया था। जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट आई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में ही मसला हाई कोर्ट की बड़ी पीठ को भेजने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार के अधिवक्ता रवि प्रकाश मेहरोत्रा ने कहा कि हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले की विश्वसनीयता जांचे परखे बगैर मामला विचार के लिए बड़ी पीठ को भेज दिया। उनका कहना था कि इस मामले में जनहित याचिका नहीं दाखिल हो सकती है। वैसे भी इस बारे में उत्तर प्रदेश रूल ऑफ बिजनेस और सचिवालय के आदेशों में आंतरिक व्यवस्था दी गई है। जिसके तहत कुछ मामले मुख्यमंत्री के पास हस्ताक्षर के लिए जाते हैं और कुछ में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और सचिव उनका अनुमोदन लेकर हस्ताक्षर करते हैं।
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वे इस मामले में स्वयं सुनवाई करेंगे ताकि यह मुद्दा हमेशा के लिए तय हो जाए। जस्टिस मिश्रा ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के ज्यादातर मुख्यमंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर करते ही नहीं हैं। आप अपने यहां व्यवस्था बनाएं। मेहरोत्रा ने कहा कि व्यवस्था है। इस बारे में उत्तर प्रदेश रूल ऑफ बिजनेस और सचिवालय आदेश हैं। पीठ ने यह भी कहा कि यह सोचना कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर जरूर हों, संभव नहीं है। लेकिन इस बारे में व्यवस्था होनी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई की तिथि 23 सितंबर तय करते हुए पीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दाखिल कर इस बारे में तय व्यवस्था पेश करे। राज्य सरकार बताए कि किन मामलों में मुख्यमंत्री फाइल पर हस्ताक्षर करते हैं और किन मामलों में उनकी अनुमति से अधिकारी हस्ताक्षर करते हैं।