नोएडा निगम है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट इस पर करेगा सुनवाई
न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने कहा कि हम आयकर विभाग की याचिका को देखेंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट आयकर विभाग की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। इसमें यह तय करने की मांग की गई है कि नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) राज्य औद्योगिक विकास कानून के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया निगम है या नहीं। आयकर विभाग ने इस संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने कहा कि हम आयकर विभाग की याचिका को देखेंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि नोएडा कानून के तहत बनाया गया निगम है, इसलिए बैंक उसके फिक्स्ड डिपॉजिट पर आयकर की कटौती नहीं कर सकते। शीर्ष अदालत ने साथ ही हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से चार हफ्ते के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से पेश वकील पंकज गर्ग और मिलिंद गर्ग ने कोर्ट से कहा कि आयकर विभाग की याचिका स्वीकार करने के योग्य नहीं हैं क्योंकि नोएडा कानून के तहत बनाया गया निगम है। इसलिए बैंक आयकर कटौती करने के लिए वैधानिक तौर पर बाध्य नहीं हैं।
यह मामला पहली बार 2013 में तब उठा जब विभाग ने नोएडा के फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज पर आयकर की कटौती नहीं करने पर बैंकों पर कर देनदारी थोप दी थी। आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ बैंक आयकर आयुक्त (अपील) के पास गए और नोएडा को निगम बताया। आयकर आयुक्त ने इस पर बैंकों के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद आयकर विभाग आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल पहुंचा जहां फैसला फिर बैंकों के पक्ष हुआ। इसके बाद आयकर विभाग ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की।
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