केंद्र की अपील, सरोगेसी पर सुप्रीम कोर्ट जारी करे आदेश
भारत में भले ही किराये की कोख (सरोगेट मदर) का कारोबार काफी बढ़ चुका हो, लेकिन इसे नियमित करने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं है। स्पष्ट कानून न होने के कारण सरोगेसी से जन्मे विदेशी बच्चों के साथ कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। केंद्र सरकार ने
नई दिल्ली (माला दीक्षित)। भारत में भले ही किराये की कोख (सरोगेट मदर) का कारोबार काफी बढ़ चुका हो, लेकिन इसे नियमित करने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं है। स्पष्ट कानून न होने के कारण सरोगेसी से जन्मे विदेशी बच्चों के साथ कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अदालत से सरोगेसी पर आदेश जारी करने का आग्रह किया है। इस मामले में अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी। सरोगेसी पर जयश्री वाड की एक जनहित याचिका लंबित है। इस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। इस पर गृह मंत्रलय ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि सरोगेसी को नियमित करने के लिये फिलहाल कोई कानून नहीं है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय कानून तैयार कर रहा है।
असिस्टेड रिप्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) बिल 2015 तैयार कर लिया गया है। इस पर सरकार विचार कर रही है। यह अभी संसद में पेश नहीं हुआ है। गृह मंत्रालय को पता चला है कि कुछ विदेशी टूरिस्ट वीजा पर भारत आकर सरोगेसी करा रहे हैं। यह गलत है। सरकार कानून में सरोगेसी के लिए आने वालों को विशेष वीजा जारी करने पर विचार कर रही है। हालांकि, संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि सरोगेसी के लिए आने वालों को मेडिकल वीजा जारी किया जाए। इसके लिए गृह मंत्रालय ने नौ जुलाई, 2012 को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया।
दिल्लीः HC का फरमान, सरोगेट मां को भी छुट्टी का हक
सरकार ने कहा कि स्पष्ट कानून न होने से सरोगेसी के लिए आने वाले विदेशी दंपतियों को कई दिक्कतें आती हैं। ऐसे बच्चों को एक्जिट परमिट जारी करने और आव्रजन प्रक्रिया में नागरिकता तय न होने के कारण मुश्किल होती है। सरोगेसी करने वाले कई एआरटी-आइवीएफ क्लीनिक नियमों का पालन नहीं करते। इसके चलते कई बार बच्चे और माता-पिता का डीएनए मेल नहीं खाता, जिससे सरोगेट बच्चे की नागरिकता तय होने में मुश्किल आती है। कई देश सरोगेसी को मान्यता नहीं देते। इससे बाहर जाते समय उस देश का मिशन बच्चे को यात्र वीजा जारी नहीं करता या फिर अनिर्दिष्ट राष्ट्रीयता लिख देता है। इससे बच्चे को बाहर भेजने में दिक्कत आती है। सरकार का कहना है कि कई ऐसे अनसुलङो पहलू हैं। जिन पर संबंधित पक्षकार कोर्ट में बहस के दौरान अपना मत रखेंगे। कोर्ट सभी का पक्ष सुनने के बाद इस पर समग्र आदेश जारी करे।