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नाराज सुप्रीमकोर्ट ने कसा तंज, कहा-क्यों नहीं शुरू कर देते शराब की होम डिलीवरी

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि हाइवे पर शराब की दुकानें बढ़ाती जा रही है। लेकिन सरकार को आम लोगों की फिक्र नहीं है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 09:34 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 11:06 AM (IST)
नाराज सुप्रीमकोर्ट ने कसा तंज, कहा-क्यों नहीं शुरू कर देते शराब की होम डिलीवरी

नई दिल्ली [माला दीक्षित] । राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से शराब की दुकानें हटाए जाने का विरोध कर रहे शराब कारोबारियों की दलीलों पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि 'शराब की होम डिलीवरी क्यों नहीं शुरू कर देते'। इतना ही नहीं कोर्ट ने राज मार्गों पर बढ़ती शराब की दुकानों पर पंजाब सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने राजमार्ग से शराब की दुकानें हटाने के मामले में बुधवार को सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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राज्यों की दलील को सुप्रीम कोर्ट की ना

बुधवार को मामले पर जब सुनवाई चल रही थी, तो जम्मू कश्मीर के शराब व्यापारियों के संघ की ओर से पेश वकील ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि दुकानें हटाए जाने के बाद उन्हें ठीक वैकल्पिक जगह नहीं मिल पाएगी। पहाड़ी इलाके में तो दुकानें लोगों की पहुंच से दूर हो जाएंगी। लोगों को बहुत दूर चलना पड़ेगा और उनके लिए स्थिति असुरक्षित होगी। इन दलीलों पर नाराज मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की पीठ ने व्यंग कसते हुए कहा कि फिर वे शराब की होम डिलीवरी क्यों नहीं शुरू कर देते।

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पंजाब सरकार ने राजस्व की दी दुहाई

पंजाब सरकार ने जब शराब की दुकानों की तरफदारी करते हुए इनके हटने से होने वाले करीब 1000 करोड़ के नुकसान की बात कही तो पीठ ने सरकार को फटकारते हुए कहा कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन वो हर साल हाईवे पर शराब की दुकानें बढ़ाती जा रही है। पीठ ने कहा कि इससे आपका आबकारी विभाग खुश होगा। आबकारी मंत्री खुश होंगे, लेकिन यहां हर साल 1.5 लाख लोग मर रहे हैं (ये आंकड़ा दुर्घटना में होने वाली मौत का है)। हर किलोमीटर पर शराब की दुकान है।

इससे पहले पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील निखिल नायर ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने अपनी आबकारी नीति में दो संशोधन किए हैं। जिसके मुताबिक हाईवे पर सीधे दिखाई देने वाली जगह और आसानी से पहुंच वाली जगह पर शराब की दुकानें नहीं होंगी। इसके अलावा हाईवे के जिस क्षेत्र में 20000 से ज्यादा आबादी आती होगी उसे सिर्फ हाईवे नहीं बल्कि रिहायशी क्षेत्र माना जाएगा और वहां शराब की दुकान हो सकती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट हाईवे से शराब की दुकानें हटाने का आदेश अप्रैल 2017 से लागू करे, क्योंकि इससे राजस्व का भारी नुकसान होगा।

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शराब बेचने के मामले में जनहित याचिका

इस मामले में पंजाब के अलावा हरियाणा, तमिलनाडु, पुडूचेरी और जम्मू कश्मीर भी कोर्ट के सामने थे। इस मामले में पहले मद्रास हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने राजमार्गों से शराब की दुकानें हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद एक जनहित याचिका पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल हुई जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग से शराब की दुकानें हटाने की मांग की गई। याचिका में कहा गया था कि पानीपत-जालंधर मार्ग पर करीब 189 शराब की दुकानें हैं। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में न सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग बल्कि राज्य राजमार्गों से भी शराब की दुकानें हटाने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपीलें लंबित थीं। प्रारंभिक सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिये थे। बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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