सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन की विधवाओं पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन की विधवाओं की दशा पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा- अब जाग जाओ। कोर्ट को आदेश दिए डेढ़ महीना बीत गया है, सरकार विधवाओं की मदद के लिए जल्दी धनराशि जारी करे। ऐसा न हो कि सरकार वित्तीय वर्ष के अंत
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन की विधवाओं की दशा पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा- अब जाग जाओ। कोर्ट को आदेश दिए डेढ़ महीना बीत गया है, सरकार विधवाओं की मदद के लिए जल्दी धनराशि जारी करे। ऐसा न हो कि सरकार वित्तीय वर्ष के अंत में धनराशि जारी करे।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति यूयू ललित की सोशल जस्टिस पीठ ने ये टिप्पणियां वृंदावन की विधवाओं की खराब दशा का मुद्दा उठाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल गौरव भाटिया और प्रगति नीखरा ने पीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश की महिला एवं बाल कल्याण सचिव रेणुका कुमार की अंतरिम रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कोर्ट के आदेश के अनुपालन में किए गए कार्यो का ब्योरा देते हुए पूर्ण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर रेणुका कुमार को इस मामले में नोडल अधिकारी नियुक्ति किया था और आदेश दिया था कि वे नाल्सा संगठन, महिला आयोग व अन्य लोगों की ओर से वृंदावन की विधवाओं की दशा सुधारने के बारे में दी गई रिपोर्ट की सिफारिशों पर विचार करें और कोर्ट के तीन अगस्त, 2012 के आदेश को प्रभावी ढंग से लागू कराएं।
कोर्ट ने रेणुका कुमार को स्वयं मौके का दौरा कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। गौरव भाटिया ने रेणुका की अंतरिम रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वे से पता चलता है कि कुल 2515 परित्यक्ता महिलाएं हैं जिसमें विधवाएं भी शामिल हैं। 15 विधवा आश्रम हैं जिनमें पांच सरकारी हैं। आठ भजन आश्रम हैं। भाटिया ने बताया कि 2515 में से 976 विधवाएं वृद्धावस्था या विधवा पेंशन पाती हैं। बाकी की 1539 किसी पेंशन योजना के तहत नहीं आती हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इनके लिए 3.65 करोड़ रुपए का फंड जारी करने का आदेश दिया है। यह रकम आश्रय गृहों की रिपेयरिंग और फूड कूपन के लिए दी गई है। भाटिया का कहना था कि काफी कुछ किया गया है लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
उनकी दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने गत 25 फरवरी को आदेश दिया था अब तक डेढ़ महीना गुजर चुका है। सरकार को अब जाग जाना चाहिए। उसे जल्दी ही फंड रिलीज करना चाहिए। ऐसा न हो कि सरकार वित्त वर्ष के अंत में फंड जारी करे। विधवाओं की दशा सुधारने के लिए जल्दी ही पुख्ता कदम उठाए जाने चाहिए। हालांकि कोर्ट ने पूर्ण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सरकार को छह सप्ताह का समय दे दिया। मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। तब सरकार को 3 अगस्त 2012 के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी।
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