Move to Jagran APP

दोषी नहीं तो मुकेश के दांत के निशान निर्भया के पैर में कैसे लगे: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 10:38 PM (IST)Updated: Tue, 12 Dec 2017 10:38 PM (IST)
दोषी नहीं तो मुकेश के दांत के निशान निर्भया के पैर में कैसे लगे: सुप्रीम कोर्ट
दोषी नहीं तो मुकेश के दांत के निशान निर्भया के पैर में कैसे लगे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, प्रेट्र। निर्भया मामले के एक दोषी की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उसके वकील को कड़ी फटकार लगाई। बचाव पक्ष का कहना था कि दिल्ली पुलिस ने उनके मुवक्किल मुकेश को जानकर फंसाया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने उनसे पूछा कि फिर मुकेश के दांत के निशान युवती के पैर पर कैसे मिले?

loksabha election banner

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगाकर तीन जजों की बेंच को मामला भेज दिया था। इस मामले में मदद के लिए दो न्यायमित्र नियुक्त किए गए थे। मंगलवार को दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका का दिल्ली पुलिस ने पुरजोर विरोध किया। मुकेश की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उसे टॉर्चर किया गया और जबरन में फंसाया गया।

पुलिस की तरफ से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह मामला पुनर्विचार का बनता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि जो टॉर्चर थ्योरी कोर्ट को बताई जा रही है वह गलत है, क्योंकि अगर ऐसा होता तो तिहाड़ जेल प्रशासन या निचली अदालत को बता सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में कही भी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। दोषी के वकील एमएल शर्मा का कहना था कि टॉर्चर को लेकर निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि जिन चीजों का सहारा लेकर आप पुनर्विचार करने की अपील कर रहे हैं, उन्हें पहले ही खारिज किया जा चुका है।

कोर्ट ने कहा कि अगर आपके अनुसार, सीआरपीसी 313 के तहत दर्ज बयान को सही नहीं माना जाए, क्योंकि आपसे बयान टॉर्चर के बाद लिया गया है तो ऐसे देश में कोई भी ट्रॉयल नहीं चल पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय के लिए 10 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 22 जनवरी को करेगा। मामले के आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकशी कर ली थी जबकि एक नाबालिग आरोपी सुधार गृह में तीन साल की सजा काट चुका है।

 यह भी पढें : ओपन जेल के मसले पर गृह मंत्रालय करे जल्द बैठक: सुप्रीम कोर्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.