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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दो महीने में करें साध्वी प्रज्ञा की जमानत पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की विशेष अदालत को 2008 के मालेगांव विस्फोट के मामले में कर्नल एसपी पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी पर फैसला लेने के लिए दो महीने की मोहलत दे दी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2015 10:12 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2015 10:30 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दो महीने में करें साध्वी प्रज्ञा की जमानत पर फैसला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की विशेष अदालत को 2008 के मालेगांव विस्फोट के मामले में कर्नल एसपी पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी पर फैसला लेने के लिए दो महीने की मोहलत दे दी। शीर्ष कोर्ट ने सोमवार को कहा कि विशेष अदालत जमानत पर दो महीने में फैसला करे। साथ ही मामले की सुनवाई तेज करने का भी निर्देश दिया।

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इससे पहले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचना दी कि विशेष मकोका कोर्ट के मुख्य अधिकारी दो महीने की मोहलत चाहते हैं। मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने हाल ही में पद संभाला है इसलिए फैसले के लिए और समय दिया जाना चाहिए। इसके बाद जस्टिस जे चेलमेश्र्वर और एएम सप्रे की बेंच ने कहा कि दो महीने का समय और दिया जाता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की जमानत अर्जी पर फैसला लेते समय राकेश धवडे की अर्जी पर विचार नहीं किया जाना चािहए, जो मकोका के तहत परभनी और जलना विस्फोटों का भी आरोपी है। ये मामले मालेगांव विस्फोट से पहले के हैं।

कोर्ट ने कहा कि अन्य आरोपियों के परभनी और जलना विस्फोटों में शामिल होने में संदेह है। इसलिए मेरिट के आधार पर उनकी जमानत अर्जी पर विचार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत से मामले में जल्द सुनवाई शुरू करने को भी कहा, जिससे सात साल पुराने इस मामले में कार्रवाई आगे बढ़ सके।

गौरतलब है कि बांबे हाइकोर्ट के जमानत देने से इंकार करने के बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। 29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव में हुए विस्फोट में सात लोग मारे गए थे। मामले में जांच के बाद साजिश के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगाया गया था।

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