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कावेरी पर कर्नाटक को सुप्रीम कोर्ट की लताड़

न्यायालय ने कर्नाटक को चेतावनी दी कि किसी को पता नहीं चलेगा कि वह कब कानून के कोप का शिकार हो जाएगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 30 Sep 2016 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2016 07:30 PM (IST)
कावेरी पर कर्नाटक को सुप्रीम कोर्ट की लताड़

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को कावेरी नदी का जल देने संबंधी न्यायिक आदेश न मानने पर कर्नाटक सरकार को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही कर्नाटक को आदेश दिया कि वह शनिवार से छह अक्टूबर (लगातार छह दिन) तक हर दिन छह हजार क्यूसेक जल छोड़े। न्यायालय ने कर्नाटक को चेतावनी दी कि किसी को पता नहीं चलेगा कि वह कब कानून के कोप का शिकार हो जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के तथ्य के बावजूद राज्य सरकार को एक से छह अक्टूबर के दौरान तमिलनाडु के लिए छह हजार क्यूसेक जल छोड़ने का अंतिम अवसर दिया। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस उदय यू ललित की पीठ ने कहा कि राज्य होने के बावजूद कर्नाटक उसके आदेश की अवहेलना करके ऐसी स्थिति पैदा कर रहा है जिससे कानून के शासन को धक्का पहुंच रहा है। हमने अपने आदेश पर अमल के लिए कठोर कार्रवाई की दिशा में कदम उठाए होते लेकिन हमने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड को निर्देश दिया है कि पहले वह वस्तुस्थिति का अध्ययन करे और एक रिपोर्ट पेश करे।

अदालत ने केंद्र सरकार को कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन चार अक्टूबर तक करने का निर्देश देते हुए कहा कि कर्नाटक को अवहेलना करने वाले रुख पर अड़े नहीं रहना चाहिए क्योंकि किसी को यह नहीं मालूम कि वह कानून के कोप का कब शिकार हो जाएगा। शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण से संबंधित सभी राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी को आदेश दिया कि वे शनिवार शाम चार बजे तक अपने उन प्रतिनिधियों के नाम बतायें जिन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता वाले बोर्ड में शामिल किया जाएगा। पीठ ने कहा, 'हम यह मानते हैं कि देश के संघीय ढांचे का हिस्सा होने के नाते कर्नाटक स्थिति के अनुरूप खरा उतरेगा और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड की वस्तुस्थिति के बारे में रिपोर्ट आने तक किसी प्रकार का भटकाव नहीं दिखाएगा।' साथ ही न्यायालय ने कर्नाटक को याद दिलाया कि वह संविधान के अनुच्छेद 144 और शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल में सहयोग के लिए बाध्य हैं।

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही कर्नाटक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन ने उनके और राज्य के मुख्यमंत्री के बीच हुए संवाद का न्यायालय में हवाला दिया। दूसरी ओर, तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे ने सारी स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कर्नाटक पहले ही अपना मन बना चुका है कि वह शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं करेगा।

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