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पंद्रह साल जेल को पर्याप्त मानकर सुप्रीमकोर्ट ने दे दी रिहाई

पांचों दोषियों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 19 Feb 2017 08:43 PM (IST)Updated: Sun, 19 Feb 2017 09:05 PM (IST)
पंद्रह साल जेल को पर्याप्त मानकर सुप्रीमकोर्ट ने दे दी रिहाई
पंद्रह साल जेल को पर्याप्त मानकर सुप्रीमकोर्ट ने दे दी रिहाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंदौर के दोहरे हत्याकांड में दोषी पांच कैदियों को सुप्रीमकोर्ट ने 15 साल जेल भुगतने की सजा को पर्याप्त मानते हुए रिहा करने के आदेश दिये हैं। पांचों दोषियों को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने वरिष्ठ वकील परमानंद कटारा की दलीलें सुनने के बाद पांचों दोषियों शेखर, दिलीप, जमुनालाल, कमल और महेश की सजा को काटी जा चुकी 15 साल जेल तक सीमित करते हुए तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया। कटारा ने अपनी बहस में जेलों की दयनीय स्थिति बयां करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल 15 साल जेल भुगत चुका है अगर उम्रकैद भी है तो 14 साल मे उम्रकैदी को रिहाई देने पर विचार हो सकता है ऐसे में उनके मुवक्किल को 15 साल जेल भुगतने के आधार पर छोड़ दिया जाए।

कटारा का कहना था कि उम्रकैद की अवधारणा ब्रिटेन से आयी है लेकिन हमारे देश में जेलों की स्थिति बहुत बुरी है यहां पर टायलेट तक की सही व्यवस्था नहीं है। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि मामले में पेश सबूतों और तथ्यों को देखने के बाद वे सत्र अदालत और हाईकोर्ट के अभियुक्तों को दोषी ठहराने के फैसले में दखल नहीं देना चाहते। लेकिन वे सभी दोषियों की सजा को काटी जा चुकी करीब 15 साल जेल तक सीमित करते हैं। ऐसे में उनकी सजा काटी जा चुकी जेल तक पर्याप्त मानी जाती है। अगर वे किसी और केस में वांछित नहीं हैं तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाये।

क्या है मामला

यह मामला मध्यप्रदेश में इंदौर का है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक 31 जनवरी 2002 को अभियुक्तों ने जय भवानी नगर कालोनी के चौराहे के पास रात करीब 9 बजे दिलीप और भैयालाल पर तलवार, चाकू व लाठी से हमला किया। अंधेरे का लाभ उठा कर अभियुक्त भाग गये। दिलीप और भैयालाल को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी। अगले दिन एक फरवरी को एरोड्राम पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई। इंदौर की सत्र अदालत ने पांचो अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई जिस पर हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई थी। अभिुक्तों ने सजा के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील की थी।


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