अवैध खनन मामले में यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का झटका, होगी सीबीआई जांच
अवैध खनन का यह वह मामला है जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया था।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अवैध खनन मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को केस दर्ज करने की छूट देने वाले हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल प्रदेश सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है।
अवैध खनन का यह वह मामला है जिसके बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाई कोर्ट के गंभीर रुख को देखते हुए तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से हटा दिया था। हालांकि, बाद में प्रजापति की कैबिनेट में वापसी हो गयी लेकिन उन्हें उन्हे खनन विभाग नहीं दिया गया।
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इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के गत 30 सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआइ को अगर जांच के बाद किसी अपराध के होने का पता चलता है तो वह मामला दर्ज कर आगे की जांच जारी रख सकती है।
इसके अलावा प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के 28 जुलाई और नौ सितंबर के उन आदेशों को भी चुनौती दी थी जिनमें हाई कोर्ट ने सीबीआइ से अवैध खनन पर रिपोर्ट मांगी थी और बाद में सीबीआइ से रिपोर्ट मांगने के आदेश को वापस लेने से भी इन्कार कर दिया था। गत सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई थी। लेकिन याचिका खारिज होने के बाद वह अंतरिम आदेश समाप्त हो गया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने प्रदेश सरकार के वकील एमआर शमशाद की दलीलें ठुकराते हुए विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। शमशाद ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के गत सात अक्टूबर के अंतरिम आदेश के मुताबिक हाई कोर्ट को इस मामले पर नये सिरे से विचार करना चाहिए था लेकिन हाई कोर्ट ने अभी तक नये सिरे से विचार नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उस अंतरिम आदेश में सीबीआइ को केस दर्ज करने की छूट देने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि हाई कोर्ट को पहले सीबीआइ की ओर से पेश रिपोर्ट देखनी चाहिए और संबंधित पक्षों को रिपोर्ट की प्रति दी जानी चाहिए, उसके बाद मामले पर विचार हो और अगर तब लगता है तो केस दर्ज करने का आदेश दिया जाए। शमशाद ने यह भी कहा कि उनकी याचिका में पक्षकार बनाए गये प्रतिपक्षियों की ओर से अभी तक नोटिस का जवाब दाखिल नहीं हुआ है, इसलिए कोर्ट को मामले पर किसी और दिन सुनवाई करनी चाहिए। लेकिन पीठ सुनवाई स्थगित करने को राजी नहीं हुई।
कोर्ट ने मामले की मेरिट पर शमशाद की बहस सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। प्रदेश सरकार की याचिका में हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा गया था कि हाई कोर्ट ने एकतरफा सुनवाई करते हुए सीबीआइ को केस दर्ज कर जांच करने के आदेश दे दिये हैं। सरकार का कहना था कि अपराध की जांच कराना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
हालांकि, हाई कोर्ट किसी भी मामले में सीबीआइ जांच के आदेश दे सकता है लेकिन ऐसा करते समय उसे सीबीआइ जांच का आदेश देने के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों को ध्यान में रखना चाहिए था। सीबीआइ जांच का आदेश तब दिया जाता है जबकि राज्य सरकार मामले की जांच न करा रही हो या उस जांच में बाधा पैदा कर रही हो। लेकिन अवैध खनन के इस मामले में ऐसा कुछ नहीं था। यहां तक कि मुख्य याचिका में तो सीबीआइ जांच की मांग तक नहीं की गई थी।