सुप्रीमकोर्ट का नीट अध्यादेश पर जल्द सुनवाई से इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने नीट अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को जल्दी सुनवाई और अंतरिम रोक से इन्कार किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने मेडिकल और डेंटल में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से राज्यों को छूट देने वाले अध्यादेश पर शीघ्र सुनवाई से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को जल्दी सुनवाई और अंतरिम रोक से इन्कार करते हुए कहा कि छात्रों मे कुछ निश्चितता होनी चाहिए। अध्यादेश पर रोक से छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी।
मालूम हो कि नीट-1 परीक्षा गत एक मई को संपन्न हो चुकी है और नीट-2 परीक्षा 24 जुलाई को होनी है। इस परीक्षा से राज्यों को छूट देने के लिए केंद्र सरकार गत 24 मई को नीट अध्यादेश लाई है।
पढ़ेंः NEET पर सुप्रीम कोर्ट का फैसलाः केंद्र के अध्यादेश पर रोक नहीं लगा सकते
व्यापम घोटाले का मामला कोर्ट तक लाने वाले इंदौर के डाक्टर आनंद राय ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर नीट अध्यादेश को चुनौती दी है। डाक्टर राय ने ये याचिका बुधवार को दाखिल की थी। हालांकि शुक्रवार को गैर सरकारी संगठन संकल्प ने भी सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर नीट अध्यादेश को चुनौती दे दी है। संकल्प वही संस्था है जिसकी याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने इसी वर्ष नीट परीक्षा कराने को हरी झंडी दी है।
शुक्रवार को कोर्ट ने जल्द सुनवाई की मांग ठुकराते हुए याचिका को गर्मियों की छुट्टियों के बाद सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। इससे पहले आनंद राय के वकील विवेक तन्खा ने न्यायमूर्ति पीसी पंत व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अवकाशकालीन पीठ से शीघ्र सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीमकोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए नीट अध्यादेश लाई है। सरकार को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। इस अध्यादेश से छात्रों में नीट परीक्षा को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। लेकिन सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याचिका का विरोध किया।
पढ़ेंः NEET अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, अगले साल से होगी एक परीक्षा
उन्होंने कहा कि केवल कुछ हिस्सों को लेकर अध्यादेश लाया गया है जिसमें राज्यों को सिर्फ इस वर्ष के लिए नीट से छूट दी गई है। सरकार को ऐसा करने का अधिकार है। तमिलनाडु, गोवा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य जो प्रादेशिक भाषा में मेडिकल प्रवेश परीक्षा कराते हैं उन्होंने इस वर्ष उसे जारी रखने की मांग की थी। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों का हित देखते हुए सिर्फ इस शैक्षणिक सत्र के लिए अध्यादेश लाया गया है। नीट परीक्षा सिर्फ हिन्दी और अंग्रेजी मे ही होती है। पीठ ने दलीलें सुनने के बाद तत्काल सुनवाई और अंतरिम रोक से इन्कार करते हुए कहा कि छात्रों में और भ्रम नहीं पैदा होना चाहिए। वैसे भी अध्यादेश एक वर्ष के लिए ही है।
आनंद राय की याचिका में अध्यादेश को गैरकानूनी बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया गया है। कहा गया है कि अध्यादेश जनहित में नहीं है। सुप्रीमकोर्ट ने मेडिकल प्रवेश में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नीट को हरी झंडी दी थी उसे फिर बढ़ावा मिलेगा। यह अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है। अध्यादेश सुप्रीमकोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए लाया गया है। यह भी कहा गया है कि नीट का प्रावधान केंद्र सरकार का है और केंद्र ने ही सुप्रीमकोर्ट में नीट की तरफदारी की थी जिसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया था और अब केंद्र ही उसके खिलाफ अध्यादेश लाया है।
पढ़ेंः NEET अध्यादेश पर जयललिता ने केंद्र सरकार को कहा शुक्रिया
इसी तरह संकल्प की याचिका में कहा गया है कि नीट अध्यादेश असंवैधानिक है। ये अध्यादेश सुप्रीमकोर्ट के आदेश के खिलाफ है जो कि न्यायिक प्रक्रिया में विधायिका का दखल है। अध्यादेश संविधान में दिए गए शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ है।