सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस बलों के खाली पदों को लेकर राज्यों को लगायी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा की पुलिस विभाग में खाली पदों को भरने के लिए कौन से कदम उठा रही हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महकमें में भारी रिक्तियों पर चिंता जताते हुए राज्यों के गृह सचिवों से रिक्तियों की जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर राज्यों ने चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर रिक्तियों के बारे में जानकारी नहीं दी तो गृह सचिवों को ब्योरे के साथ निजी तौर पर कोर्ट में पेश होना होगा। ये निर्देश मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील मनीष कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये।
याचिका में पुलिस की समस्याओं को उठाते हुए पुलिस कमीशन बनाने की मांग की गई है जो कि पुलिस के कल्याण के मामले देखे और उनकी शिकायतें भी निपटाए। मामले पर सुनवाई के दौरान मनीष ने अपनी याचिका पर स्वयं बहस करते हुए कहा कि ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च आर्गेनाइजेशन की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में पुलिस के 5.24 लाख पद खाली पड़े हैं। ये संख्या पुलिस के कुल मंजूर पदों की 24 फीसद है। कुछ राज्यों में तो पचास फीसद पद खाली हैं। इन्हें भरा जाए ताकि पुलिस पर दबाव कम हो।
पीठ ने रिपोर्ट में सिविल पुलिस की 4.73 लाख पदों की रिक्तियों पर चिंता जताते हुए कहा कि ये महत्वपूर्ण मामला है और सीधे कानून व्यवस्था से जुड़ा है। पहले वे इसी पर सुनवाई करेंगे। पीठ ने कहा कि पुलिस पर काम का भारी दबाव है और उनकी संख्या उसके हिसाब से बहुत कम है। कोर्ट ने सभी राज्यों के गृह सचिवों को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर पुलिस महकमें में कुल रिक्तियों का पदवार ब्योरा देने को कहा है। कोर्ट ने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर आदेश की प्रति सभी राज्यों के गृह सचिवों को भेजे। कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तिथि तय कर दी। याचिका में दिन रात कानून व्यवस्था बनाए रखने के काम में लगी पुलिस की परेशानियों का मुद्दा उठाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि हर एक वर्ग की परेशानियां सुनने के लिए कमेटियां और कमीशन है लेकिन पुलिस कर्मियों के कल्याण और शिकायतों के निपटारे के लिए कोई कमीशन नहीं है। एससी एसटी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आयोग है। इसी तरह बच्चों और श्रमिकों के लिए कमीशन है यहां तक कि एनीमल वेलफेयर बोर्ड है लेकिन पुलिस वालों के लिए कुछ नहीं है। याचिका में मांग की गई है कि सभी राज्यों में और केन्द्रीय स्तर पर पुलिस के कल्याण और उसकी शिकायतों के निपटारे के लिए पुलिस कमीशन बनाए जाएं।
याचिका में कहा गया है कि जो भी धरना प्रदर्शन होते हैं उसमें पुलिस को भी क्षति पहुंचती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2012 में देश भर में धरना प्रर्दशन के दौरान 400 लोग घायल हुए जबकि पुलिसकर्मी 1100 घायल हुए थे। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीमकोर्ट ने धरना प्रदर्शन के मानक तय कर रखे हैं लेकिन कोई भी राज्य उनका पालन नहीं करता है।
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