फिर खुल सकती हैं सिख विरोधी दंगों की 199 फाइलें
सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी के मामले बंद करने के निर्णय की जांच के लिए दो पूर्व जजों की समिति बनाई..
नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में शीर्ष अदालत के दो पूर्व जजों की पर्यवेक्षण समिति बनाई है। समिति यह जांच करेगी कि सिख विरोधी दंगे से संबंधित 199 मामले बंद करने का एसआइटी का फैसला सही है या नहीं।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने समिति से दंगे से संबंधित 42 अतिरिक्त मामलों को बंद करने के एसआइटी के फैसले की भी जांच करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने समिति को तीन महीने के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस मामले में अब 28 नवंबर को सुनवाई होगी। कोर्ट दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य एस. गुरलाद सिंह कहलों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने बंद मामलों पर फैसला शीर्ष अदालत पर छोड़ दिया। उसने बंद लिफाफे में 199 मामले बंद करने का ब्योरा कोर्ट को सौंपा। कोर्ट ने ऐसा ही ब्योरा पर्यवेक्षण समिति को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट को बताया गया कि एसआइटी ने 250 मामले की जांच की और 241 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। नौ मामलों की जांच लंबित है। दो मामलों की जांच सीबीआइ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को केंद्र को सिख विरोधी दंगे के 199 मामलों से जड़ी फाइलें पेश करने का निर्देश दिया था। गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगे में अकेले दिल्ली में ही 2,733 लोगों की जान चली गई थी।
उप्र सरकार को नोटिस
1984 के सिख विरोधी दंगे की जांच से जुड़े एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। इस मामले में अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी। उत्तर प्रदेश के संबंध में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कानपुर में दंगों के दौरान 127 लोगों की मौत हुई थी। ज्यादातर मामले सुबूत के अभाव में बंद कर दिए गए हैं। शीर्ष अदालत ने एसआइटी से जांच की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई की मंजूरी देते हुए इस याचिका को सिख दंगों के मुख्य मामले के साथ जोड़ने का फैसला किया था।
यह भी पढ़ेंः पीएम के भाषण की शिकायत लेकर थाने पहुंची महिला वकील